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अखिल भारतीय तिलक स्मारक कोष

मन्त्रियोंने अपना-अपना हिसाब भेज दिया है। हिसाब कमेटियोंके लेखानिरीक्षकों द्वारा उचित रूपसे जाँचे हुए हैं। उक्त कमेटियोंके हिसाबके चिट्ठे इस पत्रके साथ नत्थी हैं।

कमेटियोंने जो रुपया लगाया है और उसके पास जो ऋणपत्र हैं हमने उनकी काफी जाँच कर ली है। किन्तु चूँकि हमारे इन केन्द्रों में जानेसे कुछ पहले साल पूरा हो चुका था, इसलिए हम उनके पासकी रोकड़की जाँच नहीं कर सके हैं।

इस वर्ष भी कई कमेटियोंने अपने आय-व्यय पत्रक तथा आमदनी और खर्चके हिसाब तैयार नहीं किये हैं और केवल प्राप्त रकमों और खर्चकी रकमोंके ब्यौरे भेज दिये हैं। कई कमेटियोंने लेने और पावनेकी इससे पहलीकी रकमें नहीं जोड़ी हैं। इसलिए आय-व्यय पत्रक नहीं बन सके। आय-व्यय पत्रकोंके बिना प्राप्त रकमों और खर्चकी रकमोंके ब्योरेसे यह पता नहीं चलेगा कि किसी खास सालमें कमेटियोंकी स्थिति क्या थी। कमेटियोंकी सम्पत्तिकी भी शायद इस तरह ठोक जानकारी नहीं हो सकती।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके प्रस्तावके अनुसार कुछ कमेटियोंने खादी विभाग अलग कर दिये हैं। हमें बताया गया है कि अन्य कमेटियाँ इस साल ये विभाग अखिल भारतीय चरखा संघको प्रान्तीय शाखाओंको सौंप देंगी। विभिन्न कमेटियोंके खादी विभागोंमें बड़ी-बड़ी रकम लगी हुई हैं; किन्तु हम देखते हैं कि इन रकमोंका ज्यादातर बड़ा हिस्सा वसूल नहीं किया जा सकता और उस रुपये के बदले उनके पास कोई सम्पत्ति या तैयार माल भी नहीं है। इन रकमोंको या इन रकमोंके एक हिस्सेको जिनके बदले कोई ऐसी पूँजी नहीं है जिससे इनको वसूल किया जा सके और जो अब मिल नहीं सकती हैं, बट्टखाते डाल लेना चाहिए। हमने इस बारेमें अपने दौरेके समय सम्बन्धित कमेटियोंका ध्यान इस ओर खींचा है।

कार्यकर्ताओं और जिला कमेटियोंको पेशगी दी गई रकमें, जो अब वसूल नहीं हो सकतीं या जो भत्तोंके रूपमें होनेसे वापस नहीं ली जा सकतीं, आयमें से निकाल देनी चाहिए और जैसा कि कई कमेटियोंने किया है, कमेटियों की पूँजीमें नहीं दिखाई जानी चाहिए।

अखिल भारतीय कोषाध्यक्षके दफ्तर में सब प्रान्तीय कमेटियोंके आमदनी और खर्च का एक मिला-जुला चिट्ठा तैयार किया गया है। वह इसमें सम्मिलित है। हम हिसाब रखने के तरीकेके बारेमें एक अलग चिट्ठी भेज रहे हैं और आशा करते हैं कि इसमें दिये गये सुझावोंपर चालू सालमें अमल किया जायेगा।

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