पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/२५३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२२६. पत्र: डब्ल्यू० एच० वाइज़रको

आश्रम
साबरमती
२८ जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं ऑलिव श्राइनरको तो बहुत अच्छी तरहसे जानता हूँ, लेकिन मुझे खेद है कि श्री टिओ श्राइनरने उनके बारेमें जो पुस्तक लिखी है, उसे मैंने नहीं देखा है। अब चूंकि आपने इस पुस्तककी चर्चा की है, में दक्षिण आफ्रिकामें अपने एक मित्रको लिख रहा हूँ कि वे इस सम्बन्धमें पूछताछ करें और पुस्तक मुझे भेजें।

हृदयसे आपका,

श्री डब्ल्यू० एच० वाइज़र

मैनपुरी

संयुक्त प्रान्त

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६७४) की माइक्रोफिल्मसे।

२२७. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

आश्रम
साबरमती
२८ जुलाई, १९२६

तुम अपने दक्षिण आफ्रिका-सम्बन्धी लेखके बारेमें मुझसे सहमत हो, यह मुझे अच्छा लगा।[१] मैं तुम्हारे अफीम-सम्बन्धी लेखके बारेमें तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसमें दक्षिण आफ्रिका-सम्बन्धी लेख-जैसी कोई त्रुटि नहीं थी।

मुझे विश्वास है कि निरन्तर लिखते रहनेके मानसिक श्रमसे तुम्हें यह जो अवकाश मिला है, उससे तुम्हें काफी फायदा होगा। हम सब सितम्बरमें तुम्हारे आनेकी उत्सुकतासे बाट जोहेंगे। देवदास अभीतक मसूरीमें है; वहाँ वह अच्छा चल रहा है और पण्डितजीकी मदद भी कर रहा है।

तुम्हारा,

रेवरेंड सी० एफ० एन्ड्यूज
शान्तिनिकेतन

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६७५) की फोटो-नकलसे।

  1. देखिए “पत्र सी० एफ० एन्ड्यूजको”, २०-७-१९२६ ।