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२१८. पत्र: रमणलाल भोगीलाल चिनायको

आश्रम
२७ जुलाई, १९२६

भाईश्री ५ रमणलाल,

आपका पत्र मिला। यदि मेरा चीन आना हुआ तो जहाँ निमन्त्रण देनेवाले लोग ठहरायेंगे मैं वहीं ठहर सकूंगा। वहाँ भी आप खादीका उपयोग करना चाहें तो अवश्य कर सकते हैं। यदि बाहर पहननेके कपड़ोंमें नहीं तो घरमें तो खादी आसानीसे उपयोग में लाई जा सकती है।

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (एस० एन० १२१९२) की माइक्रोफिल्मसे।

२१९. पत्र : नानाभाई भट्टको

आश्रम
२७ जुलाई, १९२६

भाईश्री ५ नानाभाई,

इसके साथ मैं आपकी जानकारी और मनोरंजनके लिए एक पत्र भेजता हूँ। मैंने इसका उचित उत्तर दे दिया है। पत्र पढ़कर वापस भेज दें, क्योंकि इसमें से कुछ प्रश्नोंका उत्तर 'नवजीवन' में भी देना चाहता हूँ।

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२१९) की फोटो-नकलसे।