२१४. पत्र : जनकधारी प्रसादको
मंगलवार [ २७ जुलाई, १९२६][१]
मैं आपको कैसे भूल सकता हूँ? आपके पत्रसे मन दुःखी हुआ फिर भी आपने लिखकर ठीक ही किया। मैं इस विषयमें 'यंग इंडिया' में लिखूंगा। इस बीच आ राजेन्द्रबाबूसे परामर्श कर लें और यदि आपको लगे कि रचनात्मक कार्यक्रम चलानेका कोई उपयोग नहीं दिखता, तो आप सब एक साथ इस्तीफा दे सकते हैं। परन्तु इसका मतलब यह है कि चाहे आप केले हों या बहुत, आप कांग्रेस संगठनका काम, केवल अहिंसात्मक ढंगसे, ईमानदारीके साथ जारी रखेंगे। यदि आप इसे स्पष्टतया न समझ सकें और समय कम हो तो आप पदाधिकारियोंका चुनाव तो कर ही लें। अगर सन्तोषजनक रूपमें आप काम नहीं कर पायेंगे तो इस्तीफा तो बादमें चाहे जब दिया जा सकता है। उतावलीमें कोई काम न करे।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ५९) की एक फोटो-नकलसे।
२१५. पत्र: जमनालाल बजाजको
आश्रम
साबरमती
आषाढ़ बदी [३][२], १९८२, २७ जुलाई, १९२६
गिरिजाशंकर जोशीको जमीनके पैसे चुकानेकी अन्तिम तारीख १५ है, यह याद रखना। १५ तारीखसे पहले रकम मेरे पास आ जानी चाहिए।
कल हिसारके लाला श्यामलाल अपनी पत्नीको लेकर आये थे। अभी दम्पतीको आश्रम में एक साथ रखनेकी कोई जगह नहीं है; इसलिए उनकी पत्नी जानकीदेवीके