इकट्ठी हो सके और पक्ष-विपक्षका झगड़ा खत्म होते ही कुछ मित्रोंकी सहायतासे आपकी और उनकी सलाहके अनुसार उस रकमको किसी अच्छे राष्ट्रीय काममें लगाऊँ।
इस बीच मैं आपको इस उदार भावके लिए, जिससे आप अपने वेतनका एक बड़ा भाग सार्वजनिक कामके लिए दे देते हैं, आपको साधुवाद देता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि और लोग आपका अनुकरण करेंगे।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
शिमला
अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ११३२१) की फोटो-नकलसे।
यंग इंडिया, १७-३-१९२७
२०५. पत्र : विट्ठलभाई झ० पटेलको
आश्रम
साबरमती
२५ जुलाई, १९२६
संलग्न इस छोटेसे पत्रको[१] करीब-करीब रोज ही टालते रहना पड़ा। कुछ-न- कुछ हो जाता था और मैं इसे भेज नहीं पाता था। यदि पत्रके भावार्थसे आप सहमत हों तो तार द्वारा सूचित कीजिए। मैं आपके पहले पत्र और अपने पत्रको प्रतिलिपियाँ प्रकाशित कर दूंगा। यदि आप कुछ परिवर्तन करना चाहें, तो आपका तार न आनेका अर्थ मैं यही लगाऊँगा कि पत्रव्यवहार प्रकाशित नहीं किया जाना है। तब मैं आपके सुझावोंकी प्रतीक्षा करूँगा।
हृदयसे आपका,
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११३२२) की फोटो-नकलसे।
- ↑ देखिए पिछला शीर्षक।