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पत्र : अ० बा० गोदरेजको

लेखन-मात्रसे मुझे गहरी अरुचि हो गई है, मैं जिन समाचारपत्रोंका सम्पादन कर रहा हूँ यदि उनको बन्द किया जा सकता तो मैं उन्हें भी बन्द कर देता। किन्तु यह तो मैं सिरपर ले चुका हूँ, अब इससे जी नहीं चुराया जा सकता इसलिए मैं अगर "फेलोशिप ऑफ फ्रेन्ड्स ऑफ जीसस" के लिए कुछ नहीं लिखता तो आप कमसे-कम इस समय तो मुझे क्षमा कर ही देंगे।

हृदयसे आपका,

श्री ई० स्टेनले जोन्स

सीतापुर

( यू० पी० )

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६७३) की फोटो-नकलसे।

१९९. पत्र : अ० बा० गोदरेजको

आश्रम
साबरमती
शुक्रवार, आषाढ़ सुदी १३, २३ जुलाई, १९२६

भाईश्री ५ गोदरेज,

आपका पत्र मिला। मैंने आपको जिस पत्रके खो जानेकी बात लिखी थी वह पत्र यहीं कहीं रखा रह गया था। पत्र लिखानेके बाद पता-भर लिखानेकी रह गया था और टंकनकर्त्ताने उसे कोरे कार्डोंमें रख दिया था । सार्वजनिक पैसा सरकारी बैंकों में रखना मुझे बिलकुल अनुचित लगता है। फिर भी इस समय हमारे पास कोई ऐसा साधन नहीं है जिससे हम पैसेको कहीं सरकारके नियन्त्रणसे बाहर सुरक्षित रख सकें। हमें याद रखना चाहिए कि हम पूरे तौरपर असहयोगी नहीं है। यदि हम सरकारके द्वारा नियन्त्रित बैंकोंसे अलग रहना चाहते हैं तो हमें रुपये पैसोंसे सम्बन्ध नहीं रखना चाहिए। सच बात तो यह है कि अन्यायी राज्यतन्त्रमें घनका स्वामित्व गुनाह है। परन्तु हम अनिवार्य मानकर यह गुनाह कर रहे हैं।

श्री अ० बा० गोदरेज

गैस कम्पनीके पास
तिजोरीका कारखाना

परेल, बम्बई

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२०९) की फोटो-नकलसे।