पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/२३०

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इच्छाकी तनिक-सी तृप्ति भी अनिवार्य नहीं है।' यह बिलकुल सच है कि इक्के-दुक्के व्यक्तियोंकी बात छोड़कर सामान्य पुरुष या स्त्री बिना किसी बड़ी उथल-पुथलके— यहाँतक कि बिना किसी असुविधाका अनुभव किये ब्रह्मचर्यमय जीवन बिता सकते हैं। यह कहा जा चुका है और चूंकि एक अति सामान्य नियमकी इतनी अधिक उपेक्षा होती रहती है, इसे जितनी बार कहा जाये उतना ही कम है कि संयमके कारण कभी कोई रोग उत्पन्न नहीं होता और समाजमें सामान्य शारीरिक दशावाले लोग ही तो अधिक होते हैं। यह भी सच कहा गया है कि असंयमसे बहुत-सी ऐसी बीमारियाँ जिनको सब लोग जानते हैं और जो बड़ी ही खतरनाक होती हैं, उत्पन्न होती हैं। प्रकृतिने बिलकुल ही सहज और निश्चित विधिसे हमारे शरीरमें भोजन द्वारा उत्पादित आवश्यकतासे अधिक शक्तिका पूरा प्रबन्ध कर दिया है; मासिकधर्म या अनायास स्खलन इस अतिरिक्त शक्तिके प्रकट रूप हैं।

"डा० वीरीका इसे सहजात प्रकृति अथवा कोई शरीरगत आवश्यकता मानने से इनकार करना ठीक ही है। वे कहते हैं, 'यह सभी जानते हैं कि अगर भूख न बुझाई जाये अथवा श्वासको गति बन्द हो जाये तो क्या होगा। लेकिन यह तो किसीने नहीं लिखा कि अस्थायी या स्थायी संयमके फलस्वरूप अमुक हलका या भारी रोग पैदा हो जाता है। अपने दैनिक जीवन में हमने ब्रह्मचर्यका पालन करनेवाले लोगोंको देखा है। वे न तो चारित्र्य-बलमें किसीसे न्यून हैं, न शारीरिक दृष्टिसे कम स्फूर्तिवान अथवा कम बलवान हैं। यदि वे विवाह करें तो सन्तानोत्पत्तिके लिए भी वे कम योग्य नहीं हैं। जो आवश्यकता इस प्रकार परिस्थितियोंके अनुसार बदल सकती है और जो इच्छा तृप्तिके अभाव में भी शान्त बनी रह सकती है, वह न तो आवश्यकता कही जा सकती है और न सहजात प्रकृति ही।'

जो लड़का बड़ा हो रहा है उसके शारीरिक विकासके लिए यौन सम्बन्ध आवश्यक नहीं है। बात इसके बिलकुल विपरीत है। शरीरकी साधारण बाढ़के लिए परमावश्यक है कि पूर्ण संयमका पालन किया जाये और जो ऐसा नहीं करते, वे अपने स्वास्थ्यको गहरी क्षति पहुँचाते हैं। युवावस्थाकी प्राप्ति होते-होते बहुत परिवर्तन होते हैं; अनेक शारीरिक क्रियाओंमें भारी उलट-फेर होने लगता है और शरीर विकसित होता चलता है। किशोरका इस समय अपनी समस्त शक्तिको संचित रखना जरूरी हो जाता है; क्योंकि इस कालमें शरीरको रोग-निरोधक शक्ति प्रायः घट जाती है। इस अवस्थामें छुपटनको अपेक्षा रोग और मृत्युका अनुपात अधिक होता है। शरीरकी बाढ़ या अवयवोंके विकास अथवा और किसी भी प्रकारके शारीरिक परिवर्तनोंमें, जिसके अन्तमें किशोर