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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर न्याय किसीके साथ नहीं किया जा सकता। 'सर्वेऽपि सुखिनः सन्तु' में निहित कामना करते हुए ऋषिने अनायास ही एक वैज्ञानिक तथ्यको प्रकट किया था।

[ अंग्रेजीसे [
यंग इंडिया, २२-७-१९२६

१९५. अनीतिकी राहपर—४

भ्रष्टाचार तथा कृत्रिम साधनोंके उपयोगके कारण उसमें हुई वृद्धि एवं उसकेnभयंकर परिणामोंकी चर्चा कर चुकनेके बाद लेखक उनके निवारण करनेवाले उपायों-का निरीक्षण करता है। मैं उस हिस्सेको छोड़ देता हूँ जिसमें कायदे-कानून, उनकी जरूरत तथा उनके सर्वथा अशक्य होनेका जिक्र है। आगे चलकर वह लोकमतको शिक्षित करनेके द्वारा विवाहित पुरुषोंके लिए ब्रह्मचर्यको धर्मके रूपमें अख्त्यार करनेकी आवश्यकतापर विचार करता है। वह विवाहित व्यक्तियोंके उस बड़े समुदायके कर्त्तव्य पर भी विचार करता है, जो सदाके लिए अपनी पशुवृत्तिका दमन नहीं कर सकते, किन्तु जिन्हें एक बार विवाह कर लेनेके बाद यह समझ लेना चाहिए कि हम दम्पत्ति आपसमें एक-दूसरेके साथ वफादारीका बरताव रखेंगे और विषयभोगमें अतिशयता न करेंगे। वह शुद्धाचारके विरुद्ध इस दलीलकी परीक्षा करता है कि इसका आचरण 'पुरुष या स्त्रीकी प्राकृतिक वृत्तिके विरुद्ध एवं उसकी तन्दुरुस्तीमें फर्क डालनेवाला है'; और यह उपदेश 'किसी व्यक्तिकी स्वतन्त्रता, सुखपूर्वक रहने तथा अपनी इच्छानुसार जीवन व्यतीत करनेके हकपर असह्य आक्रमण है।'

लेखक इस सिद्धान्तका विरोध करता है कि अन्य इन्द्रियोंकी भाँति जननेन्द्रियको भी अपने विषयकी अपेक्षा है। उसका कथन है कि

'यदि ऐसा होता तो संकल्प-बलको उस निर्विवाद शक्तिको जो कि उसपर पूर्ण अंकुश रखतो, कैसे समझाया जा सकता है? इच्छाका जाग्रत होना, जिसे कि कट्टर नास्तिक एक यौन आवश्यकता बतलाते हैं, उन अगणित उत्तेजनाओं-का फल है, जिन्हें हमारी सभ्यता युवकों और युवतियोंके सामने सामान्य रूपसे उनके बालिग होनेके बहुत पहले ही उपलब्ध कर देती है।'

मैं यहाँ उस वैद्यकी बहुमूल्य सम्मति देनेका लोभ संवरण नहीं कर सकता जो ब्यूरोकी पुस्तकमें इस मतके प्रतिपादनमें दी गई है कि आत्मनिग्रह न केवल हानि रहित है, बल्कि स्वास्थ्यको बढ़ानेके लिए अत्यावश्यक तथा नितान्त सम्भव भी है।

'टूबिगन विश्वविद्यालयके अस्टर्लनका कथन है कि 'कामवासना इतनी प्रबल नहीं होती कि उसे विवेक या नैतिक बलसे रोका न जा सके या उसका पूर्णतया दमन न किया जा सके। लड़कियोंकी तरह लड़कोंको योग्य अवस्था प्राप्त करने के पूर्वतक संयमसे रहना सीखना चाहिए। उन्हें जान लेना चाहिए