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पत्र : परमानन्द कुँवरजीको

परन्तु यदि आप वह जहाँ है उसे वहीं रखकर उससे विदेशी वस्त्र न पहननेका आग्रह करेंगे तो यह तो जबर्दस्ती करने जैसा होगा।

माधुरीकी बातको लेकर आपने जो सिद्धान्तका प्रश्न उठाया है उसका उत्तर यह है कि बालकोंके ऊपर माँ-बापका अंकुश होना आवश्यक है। बालक जो कुछ करें, हम उन्हें वह सब नहीं करने दे सकते। हमारी दक्षता इसीमें है कि हम कमसे-कम दबाव डालकर उनसे काम ले सकें। बच्चा कुएँकी ओर दौड़े, माजूम-पाक खाना चाहे, हृदसे ज्यादा खाना खाना चाहे और ज्वरसे पीड़ित होनेपर भी पूरी-पकौड़ी माँगे तो जैसे उसकी इनमें से एक भी इच्छा हमें पूरी नहीं करनी चाहिए, इसी प्रकार नैतिक प्रश्नोंके सम्बन्धमें भी हमें वैसा ही करना चाहिए।

लेकिन स्त्री-पुरुषका प्रश्न भिन्न प्रकारका और अत्यन्त कठिन है। यदि मांसाहारी कुटुम्बमें पुरुष निरामिषाहारको धर्म समझकर निरामिषाहारी हो जाये तो क्या किया जाये? क्या स्त्रीसे भी जबर्दस्ती पुरुषका धर्म स्वीकार कराया जाये? मुझे तो लगता है कि यदि पुरुषने भोगेच्छाका त्याग कर दिया हो और पत्नी अपने लिए माँस न ला पाती हो तो पतिको चाहिए कि वह तटस्थ भावसे उसके मांसाहार करनेमें मदद दे। यदि पुरुष विषयासक्त रहते हुए भी धर्मकी दृष्टिसे मांसाहार तो छोड़ दे परन्तु अन्य विषयोंमें असंयत बना रहे तो उसे अपनी पत्नीसे अलग रहने लगना चाहिए और उसे भरण-पोषणके लायक धन देना चाहिए। यदि स्त्री स्वधर्मावलम्बी किसी अन्य पुरुषसे फिर विवाह करना चाहे तो उसे इसका विरोध नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं, वरन् उसकी सहायता करनी चाहिए। मेरा अहिंसा धर्म मुझे यही बताता है। इसमें अनेक सिद्धान्त एक साथ आ जाते हैं परन्तु इन सबका स्रोत अहिंसा के सिद्धान्तमें ढूंढ़ा जा सकता है।

जिसने खादीको धर्म मानकर स्वीकार किया है वह खादीको स्वीकार न करने-वाली अपनी पत्नीके साथ कैसा व्यवहार करे यह प्रश्न भी इसी तरह सहज ही हल किया जा सकता है। किन्तु इतनेसे ही हमारा काम नहीं चलता। हिन्दू समाजमें पति, पत्नीका मित्र ही नहीं, शिक्षक और अभिभावक भी होता है। यदि वह अपने इस कर्त्तव्यको समझता हो तो जो-कुछ मैंने पतिके कर्त्तव्यके बारेमें ऊपर लिखा है उसमें कुछ परिवर्तन करना होगा। परन्तु मुझे इसका विवेचन करनेकी आवश्यकता नहीं है।

ये सब बातें मैंने बहुत ही संक्षेपमें लिखी हैं, अतः मैं नहीं चाहता कि इनका सार्वजनिक उपयोग किया जाये।

श्री परमानन्द कुँवरजी

१३७, शराफ बाजार

बम्बई

गुजराती प्रति (एस० एन० १०९६६) की फोटो-नकलसे।