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पत्र: सर हैरॉल्ड मैनको

यह किसी भी प्रकार सन्तोषप्रद हो सका तो मैं इसे रख लूंगा और आपका बिल चुका दूंगा।

हृदयसे आपका,

सी० वी० रंगनचेट्टी
नारायणवरम

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२०४) की माइक्रोफिल्मसे।

१७९. पत्र : सर हैरॉल्ड मैनको

आश्रम
साबरमती
२० जुलाई, १९२६

प्रिय सर हैरॉल्ड मैन,

पूनाकी आगामी प्रदर्शनीमें हाथ-कताई प्रदर्शनके लिए मुझे आमन्त्रित करनेवाले आपके पत्रके[१] लिए धन्यवाद। मुझे प्रदर्शन करना बहुत प्रिय लगता, लेकिन दो कारणोंसे मैं यह नहीं कर सकता। मैंने यह प्रण कर रखा है कि २० दिसम्बर तक, अत्यधिक महत्त्वके अनपेक्षित सार्वजनिक कार्य अथवा स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणोंके अलावा मैं अहमदाबादसे बाहर नहीं जाऊँगा। दूसरे में जरा सावधानी और सतर्कताके साथ चलना चाहता हूँ और इसलिए मैं ऐसे आयोजनोंसे, जो गैर-सरकारी होते हुए भी सरकारी छाप लिये होते हैं या सरकारी संरक्षणमें होते हैं, अपनेको बहुत सम्बद्ध नहीं रखना चाहता। जबतक में वर्तमान व्यवस्थाको अनिष्टकारी समझता हूँ तबतक ऐसा करना ही मेरे लिये अधिक उचित है। मैं जानता हूँ कि मैं आपको इस प्रकार निस्संकोच और स्पष्ट लिख सकता हूँ कि आप इसे किसी भी रूपमें अशिष्टता नहीं मानेंगे।

जो प्रदर्शन करनेवाले आपके पास भेजे जायेंगे उन्हें आप पूरी तरहसे कार्यक्षम पायेंगे और प्रदर्शन भी वैज्ञानिक ढंगपर किया जायेगा। हम लोग वैज्ञानिक तरीकेसे ही इसपर अनुसन्धान कर रहे हैं, इसलिए किसी भी प्रमुख कार्यकर्त्ताके न तो कोई पूर्व-निर्धारित विचार हैं और न ही किसी प्रकारके पूर्वग्रह। हम यह अनुभव करते हैं कि डूबते हुए किसानोंको विनाशसे बचानेका एकमात्र साधन चरखा ही है और इसी कारण इसको सुधारने और इसे सफल बनानेमें हम अपनी समस्त शक्ति लगा रहे हैं।

आपने 'डेरी' की जो योजना मुझे भेजी है, उसपर में विचार कर रहा हूँ। अहमदाबादके पास ऐसी किसी जमीनका मुझे मिल सकना सम्भव तो नहीं दिखता; परन्तु यदि आप उस विशेषज्ञको, जो आपकी नजरमें हैं, भेज सकें तो वह आश्रमसे लगी हुई जमीनको जो हमारे पास है, देख सकते हैं। यदि उनकी रायमें यहाँ छोटे ग्रामीणोंको

  1. १४ जुलाईके अपने इस पत्रमें सर हैरॉल्ड मैनने गांधीजी द्वारा कताई-प्रदर्शनको "ग्रामीणों को कताईके लिए प्रोत्साहन देनेका सबसे कारगर साधन" कहा था। (एस० एन० ११२००)।