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१६८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस बीच यज्ञार्थ कातनेवाले सब लोगोंका ध्यान सूतकी किस्मको सुधारनेकी ओर आकर्षित करनेकी आवश्यकता है। किस्म सुधारनेकी इच्छा रखनेवाले लोगोंको दो बातें ध्यानमें रखनी चाहिए। सूतकी किस्म सुधारनेकी इच्छा रखनेवाले मनुष्यको टूटे हुए धागेको जोड़नेका विचार फिलहाल छोड़ देना चाहिए। दोनों हाथ जब एक साथ काम करेंगे तब सूत टूटेगा ही नहीं, लेकिन टूटा हुआ सूत फेंक देना सूतकी अच्छाई बढ़ानेके लिए बहुत आवश्यक है। यदि आँटी कसकर बनाई जायेगी तो सुतकी मजबूतीका पता चल जायेगा, क्योंकि कसकर आंटी तैयार करनेपर सूतकी मजबूतीकी परीक्षा हो जाती है। यदि सूत ताननेपर टूट जाये तो समझना चाहिए कि उतने तारमें समान और पूरे बल नहीं लगे हैं। अटेरनपर अटेरा हुआ सूत पानी छींटे बिना कभी उतारना नहीं चाहिए। पानी छींटनेके बाद उसे सूखने देना चाहिए, जिससे पानीकी नमी सूतमें पैठ जाये और उसे पक्का कर दे। पानी छींटनेका अर्थ है सूतके रेशे-रेशेमें नमी पहुँचाना। उसपर मामूली पानी छींटना काफी नहीं है, उसे पूरी तरह भिगो ही देना चाहिए। उसके लिए कदाचित् सहजसे-सहज तरीका यह है कि सूत एक अलग अटेरनपर उतारा जाये और वह अटेरन पानीमें डुबा दी जाये और तबतक पानीमें रहने दी जाये जबतक सूत पूरी तरह पानी न सोख ले। तात्पर्य यह है कि दो-तीन मिनटतक अटेरन पानीमें रहनी चाहिए। अन्य सहज उपाय जो सूझ सकें उनकी खुशीसे खोज करें। लेकिन मैंने जो मूल बात कही है उसे ध्यानमें रखें। अटेरनपर से उतारे हुए सूतको पानीमें डुबानेका प्रयोग तो कोई नहीं करेगा, ऐसी मैं आशा रखता हूँ क्योंकि यदि बिना पानी छींटे सूत अटेरनपर से उतार लिया जाये तो कुछ हदतक उसके बल निकल जायेंगे। और इस तरहसे निकले हुए बल सूतमें फिर कभी नहीं आयेंगे। सूतमें लगे बलोंको पक्का करना यह पानी छींटनेकी क्रियाका उद्देश्य है। और यह उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब पानी अटेरनपर चढ़े सूतपर ही छींटा जाये।

अन्तमें यज्ञार्थ कातनेवाले सब लोग याद रखें कि उनकी कुशलतासे मजदूरी-पर कातनेवाले लोगोंके सूतमें सुधार हो सकता है। यह सुधार उनकी कुशलतापर ही निर्भर है। मजदूरीसे कातनेवालोंके सूतमें जितना सुधार होगा उनकी आयमें उतनी ही वृद्धि होगी ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, १८-७-१९२६