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१५४. पत्र : सलिवतीश्वरन्‌को

[ १५ जुलाई, १९२६ ][१]

प्रिय मित्र,

आपका पत्र[२] मिला। मैं नहीं समझता कि आपके सुझाये हलमें कोई नई बात है।

हृदयसे आपका,

[ सलिवतीश्वरन्

७३, इस्साजी स्ट्रीट
राममंदिरके समीप
वडगादी

बम्बई ३ ]

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११०७८) की फोटो-नकलसे ।

१५५. पत्र : बी० जी० हॉनिमैनको

आश्रम
साबरमती
१५ जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र[३] मिला। मुझे आपको तार[४] देना ही पड़ा; और नहीं तो मात्र इसलिए कि मैं किसी अप्रत्याशित घटना या स्वास्थ्य सम्बन्धी हेतुके अतिरिक्त अन्य

  1. सलिवतीश्वरनुका १४ जुलाई, १९२६ का पत्र उसपर दी गई टिप्पणीके अनुसार १५ जुलाईको मिला था। अनुमानतः उसका उत्तर उसी दिन लिखा गया था।
  2. सलिवतीश्वरन्ने हिन्दू-मुस्लिम एकताको समस्याका उन्हें जो हल सूझा उसके बारेमें कुछ पंक्तियाँ लिखकर गांधीजीकी दो टूक राय मांगी थी जिससे उनको ऐसी समस्याओं के अध्ययनमें और उनके हल निकालने में प्रोत्साहन मिल सके।
  3. हॉर्निमैनने १३ जुलाईको पत्र लिखते हुए गांधीजीसे आग्रह किया था कि वे उमर सोबानीको स्मृतिके सम्मानमें १९ जुलाईको होनेवाली सभाकी अध्यक्षता करें।
  4. यह उपलब्ध नहीं है।