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अनीतिकी राहपर- ३

लेखक यह भी कहता है:

फ्रांसीसी लोगोंमें से ज्यादातर लोग अपने शासकोंकी इस शिथिल नीतिके प्रति उदासीन हैं; क्योंकि वे यह मानते हैं कि लोगोंको— आदमीको निजी जिन्दगी कैसी है, कैसी नहीं— इसे जानने की क्या गरज पड़ी है?

वह लियोपाल्द मोनोका यह निम्नलिखित कथन बड़े खेदके साथ उद्धृत करता है:

अत्याचारियोंको भला-बुरा कहने और उनके द्वारा पीड़ित लोगोंको अत्याचारसे बचाने के लिए लड़ना हो तो सराहनीय है; लेकिन उन लोगोंका क्या किया जाये जो भय अथवा लालचके कारण अपने विवेककी रक्षा नहीं कर सके हैं, जिनका साहस पीठ ठोके जाने या त्यौरी बदलनेसे बढ़ या घट जाता है या उन आदमियोंका क्या करें जो शर्म और लिहाजको ताकपर रखकर, अपने कृत्योंका बखान करते हैं और उस वचनको तोड़ते हैं, जो कि उन्होंने अपनी यौवनावस्थामें स्वतःप्रेरणा और संजीदगीके साथ अपनी पत्नीको किया था; या उन आदमियोंका जो अपनी गृहस्थीको निरंकुश स्वार्थका शिकार बनाकर उसे दुःखमय बना डालते हैं? ऐसे मनुष्योंसे भला किसको क्या सहायता मिल सकती है?

फिर लेखक निष्कर्ष रूपमें कहता है:

इस प्रकार हम चाहे जिधर दृष्टि डालें हमें एक तो यह मालूम होना कि हमारे नैतिक असंयमके कारण व्यक्ति, परिवार और समाजको भारी चोट पहुँची है; दूसरे यह कि हमने अपने सिर जबर्दस्त आफत मोल ले रखी है। हमारे युवकोंके व्यभिचारने, गन्दी पुस्तकों तथा तसवीरोंने, धनके लालचमें विवाह करने मिथ्याभिमान, विलासिता तथा तलाकने, कृत्रिम वन्ध्यत्व और गर्भपातन राष्ट्रको अपंग बना दिया है तथा उसकी बढ़ोतरी रोक दी है। व्यक्ति अपनी शक्तिको संचित नहीं रख सका है और बच्चोंको जन्म-संख्यामें कमीके साथ-साथ सन्तान क्षोण और दुर्बल उत्पन्न होने लगी है। "यदि बच्चे पैदा कम हों तो वे अधिक स्वस्थ होंगे" यह उक्ति किसी कारण से उन लोगोंको प्रिय लगा करती थी, जिन्होंने अपने आपको वैयक्तिक और सामाजिक जीवनके स्थूल भावमें परिमित मानकर यह समझ रखा था कि मनुष्योंके उत्पादनको भेड़-बकरियोंके नस्ल सुधारके समकक्ष माना जा सकता है। ओग्युस्त कौम्तने बड़े तीव्र कटाक्षके साथ कहा है कि सामाजिक दोषोंके ये नकली चिकित्सक व्यक्तियों तथा समाजके मानसकी गूढ़ जटिलताको समझनमें सर्वथा असमर्थ हैं; यदि वे पशुओंके चिकित्सक होते तो अच्छा होता।

सच तो यह है कि अपनी उन तमाम मनोवृत्तियों, निर्णयों और आदतोंमें एक भी ऐसी नहीं है जो मनुष्यकी शख्सी और जमायती जिन्दगीपर इतना असर डालती हो जितना कि विषयभोगके साथ सम्बन्ध रखनेवाली वृत्ति, निर्णय

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