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'अनीतिकी राहपर'- ३

भी इसके जिम्मेवार हैं। यदि हम ध्यानसे सोचें, तो यह बात हमारी समझमें आसानीसे आ जायेगी कि इस भ्रष्टाचार और उसकी पोषक भावनाओंका इन अन्य विपत्तियोंसे घनिष्ट सम्बन्ध है।... गुह्य अंग सम्बन्धी रोगोंकी भयंकर व्यापकतासे जनसाधारणके स्वास्थ्यको बड़ी भारी क्षति पहुँची है।

माल्थसकी तरह कुछ लोग इस विचारके पोषक हैं कि जिस समाजमें जन्म-मर्यादाका ध्यान रखा जाता है, जन्मवृद्धिपर रखे गये नियंत्रणके अनुपातमें सम्पत्ति बढ़ती जाती है, लेकिन ब्यूरो इस विचारसे सहमत नहीं है। वह अपने मतका समर्थन जर्मनी और फ्रांसकी परिस्थितिके आधारपर करता है। जर्मनीमें जहाँ औसतन पैदाइश अधिक है और मृत्यु कम, आर्थिक ऐश्वर्य बढ़ता जा रहा है; और फ्रांसमें जहाँ कि पैदा होनेवालोंकी संख्या मरनेवालोंकी संख्याकी अपेक्षा कम है, धनका अभाव बढ़ता जा रहा है। उसका कथन है कि जर्मनीके व्यापारका आश्चर्यजनक फैलाव अन्य देशोंकी तरह ही हुआ है; जर्मनीमें मजदूरोंका दूसरी जगहसे कोई अधिक शोषण नहीं हुआ है। वह रौसिन्नौताके एक वाक्यको उद्धृत करता है:

जर्मनीमें, जिस समय उसकी आबादी केवल ४,१०,००,००० थी, लोग भूखों मर गये थे। जबसे उसकी आबादी ६,८०,००,००० हुई है, तबसे वह दिन-प्रतिदिन सम्पन्न ही होता जा रहा है।

उसका यह भी कथन है :

वे लोग जो कि किसी भी प्रकारसे संयमी नहीं हैं, सेविंग बैंकोंमें प्रतिवर्ष धन जमा करने में समर्थ हुए। और सन् १९११ में यह धन बाईस अरब फ्रेंक (फ्रांसका सिक्का) हो गया था, जबकि सन् १८९५ में केवल ८ अरब ही बैंकोंमें जमा था— यानी प्रतिवर्ष उनके हिसाबमें साढ़े आठ करोड़ अधिक जमा होते गये।

जर्मन जाति द्वारा की गई तकनीकी प्रगतिका विवरण देनेके बाद ब्यूरो जर्मन संस्कृतिके सामान्य विकासके बारेमें जो कहते हैं उसका निम्न उद्धरण पाठकों-को दिलचस्प लगेगा।

समाज-शास्त्रका ज्ञान प्राप्त किये बिना भी यह बात बिलकुल स्पष्ट होनेके कारण भली-भाँति समझी जा सकती है कि यदि ज्यादा कुशल कारीगर और उच्च शिक्षा प्राप्त फोरमेन या पूर्णतया प्रशिक्षित इंजीनियर न मिलते तो ऐसी तकनीकी प्रगति सम्भव न थी। औद्योगिक स्कूल तीन प्रकारके हैं: व्यावसायिक शिक्षा देनेवाले, जिनकी संख्या ५०० है और जिनमें ७०,००० विद्यार्थी हैं; तकनीकी स्कूल; इनकी संख्या और भी अधिक है और इनमें से कुछ स्कूलोंमें तो १,०००से भी ऊपर विद्यार्थी हैं। सबसे बादमें आते हैं उच्च शिक्षा देनेवाले वे कालेज जो विश्वविद्यालयोंकी तरह 'डाक्टर'की स्पृहणीय उपाधि देते हैं और जिनमें विद्यार्थियों की संख्या १५,००० है। ३६५ व्यावसायिक स्कूलोंमें ३१,००० विद्यार्थी भरती होते हैं और कृषि सम्बन्धी प्रशिक्षण देनेवाले