मिल सके, तो एक भी दौरा न हो पानेकी बातसे मैंने अपने मनमें समझौता कर रखा है। यदि हमारे पास जो काम है उसे ही हम पूरे कामकाजी ढंगसे व्यवस्थित रूपमें कर सकते हों तो कोई दौरा न कर सकनेकी कमी काफी हदतक पूरी हो जायेगी। इसलिए मैंने आपको आज एक तार[१] भेजा है और उसमें अपने ही खास कामको आगे बढ़ाने की सलाह दी है।
बलरामपुरम् आश्रमके संचालकका पत्र और मेरे जवाबकी नकल[२] साथमें भेज रहा हूँ, जो अपने आपमें स्पष्ट हैं। कृपया इस विषयमें जो कुछ जरूरी है सो कीजिए। और यदि आप संचालकको जानते हैं तो उसके पत्र लिखने से पहले आप उसे पत्र लिख दीजिए।
हृदयसे आपका,
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६६५) की फोटो-नकलसे।
१४६. पत्र : शंकरलाल बैंकरको
आश्रम
साबरमती
बुधवार, १४ जुलाई, १९२६
मैंने कल गुलजारीलालसे[३] आपको पत्र लिखनेके लिए कह दिया था और राजगोपालाचारीको तार दे दिया था। आज उनका तार आ गया है। मैं उसे इस पत्रके साथ रख रहा हूँ। उसका उत्तर पीछे लिखा है। अतः यह निश्चित है कि वे अब १६ तारीखको तो नहीं आयेंगे। यदि आपको इसके अतिरिक्त कोई अन्य व्यवस्था सुझे तो आप जैसा उचित समझें वैसा राजगोपालाचारीको लिख दें।
यहाँ जोरकी बारिश हो रही है। मेरी तबीयत अच्छी है।
गुजराती प्रति (एस० एन० १२१९७) की फोटो-नकलसे।