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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बन्ध में कोई चिन्ता नहीं है; मुझे चिकित्सकको छुरीसे कदाचित् उतना भय नहीं जितना दवासे लगता है।

बेचारे सन्तानम्। लगभग ऐसा लगता है कि हम भारतीयोंके हिस्से में घरेलू परेशानियाँ कुछ ज्यादा ही आ गई हैं। और इस मामले में दक्षिणका अहाता भारतमें सबसे पहला है।

मैं यात्रा सम्बन्धी प्रबन्धके बारेमें शंकरलालसे बातचीत करूंगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०९२९) की फोटो-नकलसे ।

१४२. पत्र : बनारसीदास चतुर्वेदीको

आश्रम
साबरमती
मंगलवार [ १३ जुलाई, १९२६]

भाई बनारसीदासजी,

आपका पत्र मिला। मेरा ऐसा ख्याल है कि अब नातालसे कोई हिन्दी ब्रिटिश गियाना नहीं जाते हैं। यदि जाते ही हैं तो कोई अच्छे हिंदी इस काममें शरीक नहीं होते हैं। दक्षिण निवासी हिंदीओंके साथ मेरा पत्र-व्यवहार तो चल ही रहा है। और क्या करना चाहिए? आपके दुसरे खतकी जिसका उल्लेख आपके खतमें हैं मैं राह देखुंगा।

आपका,
मोहनदास गांधी

श्रीयुत बनारसीदास चतुर्वेदी

फीरोजाबाद

(यू० पी०)

मूल पत्र (जी० एन० २५७०) की फोटो-नकलसे ।