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१०४. पत्र : 'हिन्दू' के सम्पादकको

आश्रम
साबरमती
५ जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

यदि इसे लेखकी[१] संज्ञा दी जा सके, तो मेरा यह लेख 'हिन्दू' के लिए प्रस्तुत है।

हृदयसे आपका,

संलग्न : १
सम्पादक

'हिन्दू'

सिन्ध (हैदराबाद)

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६५२) की माइक्रोफिल्मसे।

१०५. सन्देश : 'हिन्दू' के लिए

५ जुलाई, १९२६

भारतकी स्वतन्त्रताके लिए, जिसे मैंने एक मूलभूत सत्यके रूपमें पहचाना है, उस सत्यको बार-बार दुहराते हुए मुझे थकना नहीं चाहिए । इसलिए मैं 'हिन्दू' के पाठकोंके समक्ष चरखे और खद्दरको पेश कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि सिन्धने इसकी जो घोर उपेक्षा की है वह बड़ी निराशाजनक है; परन्तु मैं यह भी जानता हूँ कि वह समय जल्दी आयेगा जब सिन्ध भी इस दिशामें सक्रिय होगा।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६५२) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. देखिए अगला शीर्षक ।