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१०१. रजस्वला क्या करे?

एक विधवा बहन लिखती हैं :

मुझसे ऐसा कहा गया है कि रजस्वला स्त्रीको पुस्तक, कागज, पेन्सिल, स्लेट इत्यादि लिखने-पढ़ने की वस्तुओं को नहीं छूना चाहिए, क्या इस बातको आप भी मानते हैं?

ऐसा प्रश्न छुआछूतके कलंकसे कलंकित इस अभागे देशमें ही उठ सकता है। रजस्वला स्त्रीके लिए छुआछूत सम्बन्धी कुछ ऐसे नियम हैं जिनका समर्थन आरोग्य और नीतिकी दृष्टिसे किया जा सकता है। इस अवधिमें स्त्री अधिक श्रम करनेके अयोग्य होती है। इस अवधिमें वह विकार-रहित रहे यह भी अत्यन्त आवश्यक सधवाके लिए पतिका संग इस समय बिलकुल त्याज्य और उसे शान्त भावसे रहना आवश्यक है। परन्तु इस समयमें उसके लिए अच्छी-अच्छी पुस्तकें पढ़ना और विद्याभ्यास करना अनुचित नहीं है; बल्कि मेरी समझमें ऐसा करना योग्य और आवश्यक है, बैठे-बैठे आरामसे करनेके और भी बहुत प्रकारके गृहकार्य सोचे जा सकते हैं, जिन्हें रजस्वला स्त्री मजेमें कर सकती है।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, ४-७-१९२६

१०२. गुजरात खादी प्रचारक मण्डल

गुजरात खादी प्रचारक मण्डलसे द्वितीय चैत्र मासकी जो रिपोर्ट आई है उसके अनुसार १५ कार्यालयों में काते गये सूतकी ३,८५४ वर्गगज खादी बुनी गई। एक कार्यालयकी मार्फत तैयार सूतकी ४१० वर्गगज खादी बुनी गई; और दस कार्यालयोंकी मार्फत ३,३४९ वर्गगज व्यापारिक खादी तैयार की गई। १५ कार्यालयोंको आधा आना प्रति बीसीके[१] हिसाबसे १,४३३ रुपये की मदद दी गई। ११ भण्डारोंसे ७,५८० रुपयेकी खादी बेची गई। इन कार्यालयों में कार्यकर्ताओंकी संख्या ४१ थी। पिंजारे १५, बुनकर ११७, अपने लिए कातनेवाले १७२ और मजदूरीके लिए कातनेवाले ६८३ थे। कुल ११ मासका हिसाब इस तरह है: खुद काते हुए सूतकी अपने लिए बुनवाई गई खादी ३५,०३३ वर्गगज, तैयार सुतकी खादी ७,७५६ वर्गगज और केन्द्रोंके सुतसे बुनी गई खादी २०५९५ वर्गगज। आधा आनाके हिसाबसे १०,५८४ रुपयेकी मदद दी गई। भण्डारोंमें ८०,०६३ रुपयेकी खादीकी बिक्री हुई। इस हिसाबमें काठियावाड़के कार्यालयोंका हिसाब नहीं आता। द्वितीय चैत्र मासमें मण्डलकी ओरसे १९

  1. बुनाई में तानेके तारोंकी गिनती।