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गारियाधार खादी-कार्य

दिया है। उन्हें भी दलितवर्गोंके कल्याणकी उतनी ही चिन्ता है जितनी मुझे; और वे ऐसे कामोंके लिए चन्दा जमा करनेमें मेरी सहायता करते हैं।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत वी० आर० कोठारी
पूना,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १११२७) की माइक्रोफिल्मसे।

९९. पत्र : शालिग्राम शास्त्रीको

आश्रम
साबरमती
३ जुलाई, १९२६

भाई शालिग्राम शास्त्री,

आपका पत्र मिला है। आपका तार भी मिला था। मेरा आखरका तार आपको पहुंच गया होगा। उसमें मैंने खबर दी है कि हरिहर शर्मा वापिस जाते हैं और १५ ऑगस्टके बाद आप किसी भी तारीख मुकरर करें। आपके इस वक्त नहीं आनेका कारन मैं अच्छी तरहसे समझ सकता हूं।

जो योजना पंडित हरिहर शर्माजीने स्थानिक कार्यकर्ताओंको मिलाकर बनाई है। उसकी नकल में आपको भेजता हूं।उसको आप पढ़ें और यदि आवश्यक समझा जाय तो कमिटिके सामने भी रखें। और इसपर उनका अभिप्राय भी आप ले लें।

मूल पत्र (एस० एन० १९६५०) की माइक्रोफिल्मसे।

१००. गारियाधारमें खादी-कार्य

गारियाधारमें भाई शंभुशंकर परिषदकी[१] तरफसे काम कर रहे हैं। उनके कार्यका लेखा जानने योग्य है। उन्होंने गारियाधारके आसपासके ४१ गाँवोंमे ११०० कुटुम्बोंमें कपासका संग्रह करवाया और वहाँ खादी बुननेतक की सारी आवश्यक क्रियाओंकी सुविधा कर दी। कपासका संग्रह ३,००० मनके करीब हुआ। उसमें से ८०० मन कपास हाथोंकी चरखीसे ओटा ली गई। यहाँ धुनाईपर कर लगता है; परन्तु जिन धुनियोंने पूनियाँ बनाने के लिए यह रुई धुनी उनका धुनाई कर माफ कर दिया गया। इन कुटुम्बोंमें से केवल ११२ कुटुम्बोंने परिषदके प्रस्तावके अनुसार उससे मदद ली अर्थात् बुनाई और धुनाईका आधा खर्च लिया। इस खातेमें अबतक

  1. काठियावाड़ राजनैतिक परिषद्।