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९३. अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक– कोष

एक पत्र-लेखकने मेरा ध्यान इस ओर खींचा है कि अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषमें प्राप्त रकमोंकी सूची 'यंग इंडिया' में सिलसिलेसे नहीं छापी गई है और इस हदतक कहा जा सकता है कि उसमें चुस्ती नहीं बरती गई। यह बात सच है, क्योंकि जैसे-जैसे मुझे मन्त्री या खजांचीसे रकमोंके मिलनेकी सूचनाएँ मिलती गई, मैं उनको बिना जाँचें और उनके पिछले जोड़को बिना देखे, देता चला गया। इसलिए पत्र लेखकको यह भी नहीं मालूम हो सका कि उनके द्वारा दी गई रकम अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषमें वस्तुत: जमा भी हुई है या नहीं। इस पत्रके मिलनेपर मैंने कोषाध्यक्षको चिट्ठी[१]लिखी और अबतक मिले हुए चन्देकी पूरी सूची मँगवाई। मैं यह पूरी सूची[२]प्रकाशित कर रहा हूँ जिससे कोई गड़बड़ी या भूल न हो और चन्दा देनेवाला हरएक व्यक्ति स्वयं यह देख सके कि उसका चन्दा पहुँचा है या नहीं। पूरी सूचीको एक ही अंकम देना सम्भव नहीं है क्योंकि इसका शेष भाग अभी जाँचा जा रहा है।

मुझे पाठकोंको यह भरोसा दिलानेकी जरूरत नहीं है कि कोषाध्यक्षके कार्यालयमें प्राप्त रुपयोंकी बड़ी सावधानी रखी जाती है और रकमें आते ही बैंकम जमाकर दी जाती हैं। गड़बड़ी हिसाब-किताबके दोषपूर्ण तरीके या असवाधानीके कारण नहीं हुई है, बल्कि इसलिए हुई है कि 'यंग इंडिया' के दफ्तरमें जितनी सूचियाँ आई हैं, वे छापी नहीं जा सकीं। यदि चन्दा देनेवाले लोग जो सूची अब प्रकाशित की जा रही है उसे देख लेंगे और उसमें नजर पड़नेवाली भूलकी ओर मेरा ध्यान खींचेंगे तो मैं उनका बहुत कृतज्ञ होऊँगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-७-१९२६
  1. उपलब्ध नहीं है।
  2. यहाँ नहीं दी गई है।