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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

८ मई: अबुलकलाम आजादको लिखे पत्रमें पारस्परिक मतभेदके कारण कांग्रेसकी दयनीय स्थितिके बारेमें लिखा।

९ मई: देवदासका आन्त्रशोथका ऑपरेशन हुआ।

१३ मई: महाबलेश्वर जानेके लिए अहमदाबादसे बम्बईके लिए रवाना हुए।

१४ मई: बम्बई पहुँचे और देवदासको देखने गये।

१५ मई: महाबलेश्वर जाते हुए रास्तेमें देवलालीमें मथुरादाससे मिले।

१६ मई: गांधीजी सायं ५ बजे महाबलेश्वर पहुँचे और सर चुन्नीलाल मेहताके साथ ठहरे।

१७ मई: सोमवार, मौन दिवस।

१८ मई: गांधीजीने कार्यकारी वाइसराय सर हेनरी लॉरेंसके साथ बैठकमें भाग लिया और उनसे कृषि, चरखा तथा पशु-समस्यापर बातचीत की।

१९ मई: वाइसरायके साथ बातचीत जारी रही।

२० मई: पूना पहुँचे, सिंहगढ़ (काका कालेलकरसे मिलनेके लिए) गये और बम्बईके लिए रवाना हुए।

'यंग इंडिया' में आस्ट्रेलियामें भारतीयोंके प्रति जातीय भेदभावपर लिखा।

२२ मई: साबरमती वापस लौट आये।

के॰ टी॰ पॉलको लिखे पत्रमें अपनी फिनलैंड यात्रा स्थगित करनेका सुझाव रखा।

३० मई: ए॰ ए॰ पॉलको लिखे पत्रमें चीन-यात्राके निमन्त्रणपर अपनी स्वीकृतिके बारेमें लिखा।

ए॰ आई॰ काजी, महासचिव, दक्षिण आफ्रिकी भारतीय कांग्रेस, डर्बनको रंगभेद विधेयकके विरोधमें सभाका वार्षिक अधिवेशन जोहानिसबर्गमें रखनेके प्रस्तावपर सलाह दी।

'नवजीवन' में पूर्वी आफ्रिकी भारतीयोंको सलाह दी कि वे अपने बीच एकता कायम करें और आत्मसम्मानसे रहनेके लिए अपने अन्दर "सत्याग्रहकी शक्ति पैदा करें।"

३ जून: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "कुटिल कानून" शीर्षक लेखमें रंगभेद कानून तथा वर्ग क्षेत्र आरक्षण विधेयकपर विचार और आलोचना की।

६ जून: के॰ टी॰ पॉलको लिखे पत्रमें अपनी फिनलैंड यात्रा रद्द करनेकी सूचना दी।

८ जून: रंगभेद विधेयकपर समाचारपत्रके प्रतिनिधिको दी गई एक भेंटमें गांधीजीने विधेयकको "अपमानजनक" कह कर उसकी निन्दा की।

जनकधारी प्रसादको लिखे पत्रमें गांधीजीने कहा कि जो लोग कठिनसे-कठिन विघ्न-बाधाओंके सामने भी डिगनेवाले नहीं हैं, सफलता अन्तमें उन्हींको मिलेगी, क्योंकि मुझे तो असहयोगके अलावा स्वतन्त्रता प्राप्त करनेका कोई और रास्ता दिखाई नहीं देता।

१० जून: 'यंग इंडिया' में "प्रार्थना क्या है" के बारेमें लिखा।

१४ जून: मौन-दिवस। गुजरात महाविद्यालयके विद्यार्थियोंको सन्देश भेजा।