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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

२२ अप्रैल: गांधीजीने 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "मादक पदार्थ, शराब और शैतान" शीर्षक लेखमें भारतमें पूर्ण मद्य-निषेधकी वकालत की।

एक भेंटमें गांधीजीने शाही कृषि आयोगके सम्बन्धमें अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि मेरे पक्का असहयोगी होनेके बावजूद कार्यवाहक गवर्नर महोदय कृषि सम्बन्धी अनौपचारिक चर्चाके लिए मुझे महाबलेश्वर बुलाते हैं तो मैं अवश्य अपने विचार उनके सामने रखूँगा।

२३ अप्रैल: जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नीका परिचय देते हुए रोमाँ रोलाँको पत्र लिखा।

२४ अप्रैल: अमूल्यचन्द्र सेनको लिखे पत्र में "सत्यके उद्घाटन" की प्रक्रियापर विचार प्रकट किये।

पुरुषोत्तम मू॰ सेठको लिखे पत्रमें विधवा-विवाहपर अपने विचार प्रकट किये। अमृतलाल बेचरदासको लिखे पत्रमें अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "बीमा करवाना ईश्वरके प्रति किसी-न-किसी मात्रामें हमारी आस्थाकी कमीका सूचक है"। अमृतलाल ठक्करको लिखे पत्रमें उनके दो कार्यों——अन्त्यजों और भीलोंकी सेवा——के बारेमें उनकी अनन्य सेवाकी प्रशंसा की।

रामू ठक्करको लिखे पत्र में रामनाम और चरखेमें अपना विश्वास दोहराया।

२५ अप्रैल: 'नवजीवन' में प्रकाशित एक पत्रके उत्तरमें स्वच्छन्द प्रेमके समर्थकोंका विरोध करते हुए विवाहका समर्थन किया।

२७ अप्रैल: एस॰ श्रीनिवास अय्यंगारको लिखे पत्रमें खानगी तौरपर कौंसिल कार्यक्रमकी कड़े शब्दोंमें भर्त्सना की।

२९ अप्रैल: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "दक्षिण आफ्रिका" शीर्षक लेखमें गांधीजीने दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके दावोंको मंजूर करवाने, क्षेत्र संरक्षण विधेयकको स्थगित करने और वहाँकी सरकारको सम्मेलन बुलानेपर सहमत करनेके लिए भारत सरकारको उसकी कूटनीतिक विजयपर बधाई दी।

'यंग इंडिया' में प्रकाशित "टिप्पणियाँ" के उपशीर्षक "सच्चा परोपकारी व्यक्ति" में दक्षिण आफ्रिकामें एन्ड्रयूजके कार्यकी मुक्त कण्ठसे प्रशंसा की; और 'अस्पृश्यताके चंगुलमें" उपशीर्षकमें कोचीनमें अस्पृश्योंकी दुर्दशाकी ओर ध्यान आकर्षित किया।

२ मई: रोमाँ रोलाँको लिखे पत्रमें 'भारतके संघर्षका विदेशोंमें प्रचार' पर अपने विचार प्रकट किये।

४ मई: गुजरात विद्यापीठमें हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठकमें भाग लिया।

५ मई: साबरमतीमें हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठकमें सत्यमूर्तिने दक्षिण आफ्रिका सम्बन्धमें प्रस्ताव रखा।

गांधीजी और स्वराज्यवादियोंके बीच हुए साबरमती समझौतेको अनुक्रियामूलक सहयोगवादियोंने तोड़ा।

६ मई: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "सुदूर अमेरिकासे" शीर्षक लेखमें बताया कि पशु-बलसे आत्म-बल बहुत अधिक श्रेष्ठ होता है।