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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(११ फरवरीसे १४ जून, १९२६ तक)

११ फरवरी: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "स्वीडनसे" शीर्षक लेखमें गांधीजीने अहिंसक असहयोगके कार्यक्रम तथा अस्पृश्यता-निवारण आन्दोलनके महत्त्वके बारेमें बताया। 'यंग इंडिया' में गांधीजीने एशियाई विधेयकको 'विश्वासघात' कहा।

१४ फरवरी: अहमदाबादमें दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलको एक भेंटमें विश्वास दिलाया कि आवश्यकता पड़नेपर वे दक्षिण आफ्रिका जानेको तैयार हैं।

१८ फरवरी: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "आजकी चर्चाका विषय" तथा "बदसे-बदतर" शीर्षक लेखोंमें गांधीजीने दक्षिण आफ्रिकी विधेयकके अन्यायकी आलोचना की तथा 'अपनी सहायता आप करें' और 'सत्याग्रह' इसके उपायके रूपमें सुझाया।

२५ फरवरी: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "हमारा अपमान" शीर्षक लेखमें गांधीजीने डॉ॰ मलानके प्रस्ताव——भारत सरकारकी ओरसे सिर्फ पैडिसन शिष्टमण्डल ही गवाही दे——पर वाइसरायकी स्वीकृति की आलोचना की।

२७ फरवरी: गांधीजीसे विचार-विमर्शके लिए मोतीलाल नेहरू अहमदाबाद आये।

११ मार्च: स्वामी श्रद्धानन्दके साप्ताहिक 'लिबरेटर' को सन्देश भेजा। चुन्नीलालको लिखे पत्रमें गो-रक्षा अधिवेशनको सन्देश भेजा।

१२ मार्च: लाहौरके 'हिन्दुस्तानी' को चरखेपर एक सन्देश भेजा।

१५ मार्च: ए॰ ए॰ पॉलको लिखे पत्रमें चीन-यात्राके निमन्त्रणके बारेमें अपना इरादा बताया।

१७ मार्च: कैथरीन मेयोको दी गई एक भेंटमें गांधीजीने पश्चिम द्वारा शोषण, चरखेका अर्थशास्त्र, अस्पृश्यताके कलंक तथा भारतमें ब्रिटिश शासनके अन्याय आदिपर अपने विचार प्रकट किये।

डॉ॰ सत्यपालको लिखे पत्रमें सिखोंकी बहादुरीकी प्रशंसा करते हुए 'फुलवारी' के लिए सन्देश भेजा।

विधानचन्द्र रायको लिखे पत्रमें, रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा चित्तरंजन सेवा-सदनके उद्घाटन समारोहके लिए सन्देश और बासन्तीदेवीके लिए जन्म-दिवसकी शुभकामनाएँ भेजी।

१८ मार्च: 'यंग इंडिया' में प्रकाशित "केवल परिमाणका भेद" शीर्षक लेखमें गांधीजीने दक्षिण आफ्रिकामें जाति और रंगभेदको 'समस्त संसारकी बहुत भारी समस्या' बताया।

जोआकिम हेनरी राइनहोल्डको लिखे पत्रमें 'यंग इंडिया' के लेखोंका अनुवाद करनेकी अनुमति दी।

२० मार्च: लाला लाजपतरायको लिखे पत्रमें अमेरिका और फिनलैंडकी यात्राके निमन्त्रणके बारेमें अपने विचार प्रकट किये।