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परिशिट २

१. साबरमती-समझौता[१]

यह सम्मेलन पण्डित मोतीलाल नेहरूके आमन्त्रणपर २० और २१ तारीखको साबरमती आश्रम, अहमदाबादमें आयोजित किया गया।...बहुत-से तार और पत्र आये...जिनमें से एक पण्डित मदनमोहन मालवीयका भेजा हुआ था। उसमें भारतके सभी राजनीतिक दलोंको संयुक्त कांग्रेस मंचपर लानेके सम्बन्धमें सुझाव दिये गये थे।

सम्मेलनने तमाम मुद्दोंपर विचार करनेके बाद निम्नलिखित समझौता किया:

नीचे हस्ताक्षर करनेवाले हम लोग इस बातपर सहमत हैं——बशर्ते कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी इसकी पुष्टि कर दे——कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके ६ और ७ मार्च, १९२६के संकल्प २ ख (४) की धारा (क) और (ख) की दृष्टिसे प्रान्तोंमें सरकारकी प्रतिक्रियाको उस दशामें सन्तोषजनक माना जायेगा जब वह मन्त्रियोंको उनके दायित्वोंके ठीक निर्वाहके लिए आवश्यक सत्ता, दायित्व और पहलकी सुविधा प्रदान कर देगी और ऐसी सत्ता, दायित्व और पहलकी सुविधा पर्याप्त है या नहीं, इसका निर्णय प्रत्येक प्रान्तमें उस प्रान्तकी विधान परिषद्के कांग्रेसी सदस्य करेंगे, लेकिन उस निर्णयकी पुष्टि उस समितिसे करवाना आवश्यक होगा जिसके सदस्य पण्डित मोतीलाल नेहरू और श्री एम॰ आर॰ जयकर हैं।

हम इस बातपर भी सहमत हैं कि बम्बई, महाराष्ट्र, बिहार और मध्यप्रदेश मराठी, इन कांग्रेसी प्रान्तोंमें सारे विवादोंका निबटारा उक्त समिति ही करेगी। नीचे हस्ताक्षर करनेवाले लोगोंने अपनी-अपनी व्यक्तिगत हैसियतसे इस समझौतेपर हस्ताक्षर किये हैं और इसकी पुष्टि करानेके लिए इसे स्वराज्यवादी दल तथा प्रतिसहयोगी दल (रिस्पॉन्सिव कोऑपरेशन पार्टी) की कार्यकारिणी परिषदके समक्ष रखा जायेगा। इसकी मंजूरीके लिए इसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके सामने आगामी ४ और ५ मईको साबरमतीमें बुलाई गई बैठकमें पेश किया जायेगा।

इस समझौतेपर २१ अप्रैल, १९२६ को साबरमतीमें सरोजिनी नायडू, मोतीलाल नेहरू, लाजपतराय, एम॰ आर॰ जयकर, एन॰ सी॰ केलकर, बी॰ एस॰ मुंजे, मा॰ श्री॰ अणे, डी॰ वी॰ गोखले और जी॰ ए॰ ओगलेने हस्ताक्षर किये हैं।

२. अ॰ भा॰ कां॰ क॰ का दिल्लीका प्रस्ताव

अ॰ भा॰ कां॰ क॰ की दिल्लीकी बैठकमें पास किये गये प्रस्ताव २——ख (४) की जिन धाराओंका इस समझौतेमें उल्लेख है, उनमें कहा गया है कि कांग्रेसी लोग

(क) जबतक सरकार कांग्रेसके विचारसे संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं दिखाती तबतक उसके पास देनेके लिए जो भी पद हैं उनमें से कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे;

  1. यह "स्वराज्यवादी और प्रतिसहयोगवादी: अहमदाबाद समझौता" शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था।