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परिशिष्ट

परिशिष्ट १

गांधीजीके नाम विट्ठलभाई पटेलका पत्र

बम्बई
१० मई, १९२६

प्रिय महात्माजी,

केन्द्रीय विधान सभाका अध्यक्ष-पद स्वीकार करते समय मैंने यह निश्चय किया था कि अपने वेतनमें से जो-कुछ बचा पाऊँगा, उसका उपयोग मैं किसी ऐसे कार्यमें करूँगा जिससे राष्ट्रका हित-साधन होता हो। अनेक कारणोंसे मैं पहले छ: महीने कुछ खास नहीं बचा सका। लेकिन अब आपको यह सूचना देते हुए मुझे खुशी हो रही है कि पिछले महीनेसे मुझे कोई कठिनाई नहीं रह गई है; और अब मैं एक खासी रकम बचा सकता हूँ और बचाता भी हूँ। देखता हूँ, मुझे अपने खर्चके लिए प्रति मास औसतन २,००० रुपयेकी जरूरत होती है। आयकर छोड़कर मेरा कुल मासिक वेतन ३,६२५ रुपये है। इसलिए मैं प्रति मास १,६२५ रुपये अलग रख देना चाहता हूँ, जिसका उपयोग अबसे उस तरीकेसे और उस कामके लिए किया जायेगा जो तरीका और जो काम आप पसन्द करेंगे। मैंने यह बचत पिछले महीनेसे ही शुरू कर दी है। वैसे तो इस सम्बन्धमें मेरे भी कुछ विचार हैं और समय आनेपर मैं उनके विषयमें आपसे चर्चा भी करूँगा, लेकिन आप मेरे उन विचारोंसे सहमत हों या न हों, यह राशि आप अपने जिम्मे समझिए।

मैं अप्रैल मासकी बचतकी १,६२५ रुपयेकी राशिका चेक साथमें भेज रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि आप इस दायित्वको अस्वीकार नहीं करेंगे।

हृदयसे आपका,
वि॰ झ॰ पटेल

[अंग्रेजीसे]
विठ्ठलभाई पटेल——लाइफ एण्ड टाइम्स-२, पृष्ठ ६६९
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