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पत्र: किशोरलाल मशरूवालाको

बेशक, 'तुम्हारी बेटियोंका संगीत सुनना चाहूँगा। रामदास अभी मेरे साथ है। वह खादीका काम कर रहा है। दो-चार दिन बाद वह यहाँसे अपने सदर मुकामको रवाना हो जायेगा। देवदासको एपेंडिसाइटिस हो गया था। उसका ऑपरेशन हो गया। इन दिनों वह पहाड़पर एक मित्रके साथ रहकर स्वास्थ्य लाभ कर रहा है। छगनलाल और मगनलाल अपने-अपने परिवारोंके साथ यहीं हैं। तीसरा भाई जमनादास, जिसे तुम जानते हो, राजकोटकी राष्ट्रीय पाठशालाकी देख-रेख करता है। श्रीमती नायडू भारतका दौरा कर रही हैं। श्री एन्ड्रयूज अपने मित्र स्टोक्सके यहाँ गये हुए हैं। वे इन दिनों शिमलामें हैं। इस तरह जिन लोगोंको तुम जानते हो, सबका हाल मैंने बता दिया। मैं दोनों अखबारोंके सम्पादनमें अपना समय बिताता हूँ।

तुम सबको स्नेह वन्दन।

हृदयसे तुम्हारा,

श्री वी॰ लॉरेन्स


१९, फाउंड्रीलेन


डर्बन, दक्षिण आफ्रिका

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९६१९) की फोटो-नकलसे।

६८९. पत्र: किशोरलाल मशरूवालाको

साबरमती आश्रम
रविवार, १३ जून, १९२६

चि॰ किशोरलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। मेरा सन्देश तो इस प्रकार था: यदि तुम थोड़े-थोड़े समयके लिए वहाँसे अवकाश पा सको तो निरीक्षकका कुछ काम कर सकते हो और कमा भी सकते हो। इस समय बालूभाई तुम्हें आश्रममें आने देनेके लिए राजी न होंगे, ऐसा मानकर मैंने यह सुझाव दिया था। तुम्हें यह पसन्द नहीं आयेगा, यह बात तो मैं जानता ही था और यह बात मैंने नानाभाईसे कही भी थी। लेकिन सोचा कि शायद थोड़े समयके लिए तुम निरीक्षकके कामको स्वीकार कर सको। यह काम मैंने तुम्हारे लिए हल्का मान लिया और यह भी मान लिया कि इसे करते हुए तुम बम्बईमें रह सकते हो। यदि तुम आश्रममें आ सको और यदि तुम्हारा शरीर स्वीकार करे तो तुम बुनाईका काम सीखनेमें लग जाओ; यह मुझे अच्छा लगेगा। विद्यार्थियोंके बारेमें जैसा तुम कहते हो वैसा ही है। इसके बारेमें विद्यार्थियोंको सलाह दूँगा। स्त्रियोंके बारेमें, प्रसंगोपात्त चर्चा करूँगा।

गिरवारीको अभी कितना समय वहाँ लगाना पड़ेगा?

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९६२०) की फोटो-नकलसे।