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स्वाभाविक किसे कहेंगे?

है। जुलाई मासतक वे ५० रुपये लें और बादमें २५ रुपये लें। इस बारेमें सोच-विचारकर शम्भूशंकर लिखेंगे। उनकी योग्यता तो ज्यादा है, लेकिन भाई शम्भूशंकरने मेरे पास हमेशा त्यागी होने का ही इरादा व्यक्त किया, और बन सके तो सार्वजनिक सेवासे कुछ भी न लेनेका उनका निश्चय था। इस दृष्टिसे मैंने २५ रुपये सुझाये।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९६१५) की माइक्रोफिल्मसे।

६८४. स्वाभाविक किसे कहेंगे?

आजकल "स्वाभाविक" शब्दका बड़ा दुरुपयोग हो रहा है।

एक भाई लिखते हैं:

जिस प्रकार मनुष्यके लिए खाना-पीना स्वाभाविक है, उसी प्रकार क्रोध करना भी स्वाभाविक है।

दूसरे भाई लिखते हैं:

जिस प्रकार हम लोगोंके लिए सोना और उठना-बैठना स्वाभाविक है, उसी प्रकार विषयभोग करना भी स्वाभाविक है। यदि ऐसा न हो तो ईश्वरने हमें विषय-वासना दी ही क्यों है? दुष्ट मनुष्यके प्रति क्रोध करना और साधुजनकी स्तुति करना हमारा धर्म नहीं है तो ईश्वरने हमें स्तुति-निन्दा करनेकी शक्ति क्यों दी है? सर्वशक्तियोंका सम्पूर्ण विकास ही धर्म क्यों न कहा जाये? इस प्रकार विचार करनेसे क्या यह प्रमाणित नहीं होता कि जितने अंशोंमें अहिंसा धर्म है उतने ही अंशोंमें हिंसा भी धर्म है? थोड़ेमें कहें तो यही प्रतीत होता है कि पुण्य-पाप हमारे दुर्बल मनकी कल्पना-मात्र हैं। आपका अहिंसा-धर्म एकांगी होनेके कारण दुर्बलताका ही सूचक प्रतीत होता है। और इसलिए उसे धर्म न मानकर परम अधर्म क्यों नहीं मान सकते? अहिंसा परमोधर्मः, इसमें अवग्रह छूट गया मालूम होता है, अथवा जान पड़ता है कि इसे मानव-जातिके किसी शत्रुने उड़ा दिया है। कारण, बहुत बार तो अहिंसाका परम अधर्म होना हो बड़ी आसानीसे साबित किया जा सकता है।

ये सब दलीलें किसी एक ही मनुष्यकी नहीं हैं, बल्कि इनमें दो-चार या अधिक लोगोंकी दलीलें मिली-जुली हुई हैं। अवग्रहके छूट जानेकी अथवा उसे उड़ा देनेकी कल्पना एक वकील मित्रकी है। और उन्होंने यह दलील बहुत ही गम्भीरतासे प्रस्तुत की थी। यदि मनुष्यको भी पशुओंकी श्रेणीमें रख दिया जाये तो अनेक बातें जिन्हें हम अस्वाभाविक मानते हैं, स्वाभाविक सिद्ध हो सकती हैं। परन्तु यदि हम यह स्वीकार करें कि इन दोनोंमें जातिभेद है तो यह नहीं कहा जा सकता कि जो बातें पशुओंके लिए स्वाभाविक हैं, वे सब मनुष्योंके लिए भी स्वाभाविक हैं। मनुष्य ऊर्ध्वगामी प्राणी है। उसे सारासारकी विवेकबुद्धि प्राप्त है। वह बुद्धिपूर्वक परमात्माका