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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फिनलैंड जानेका खयाल अब खत्म हो चुका है और समझ लीजिए कि हालमें उसे दफन भी कर दिया गया है। डा॰ दलालको ऐसा शक है कि देवदासको हाइड्रोसील हो गया है। अगर उसके लिए ऑपरेशन भी करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है। बेशक, मुझे उसकी कोई चिन्ता नहीं है। कारण शायद यह है कि मैं दवा खानेसे जितना डरता हूँ, उतना नश्तर लगवानेसे नहीं।

बेचारा सन्तानम्! मुझे तो यही लगता है कि भारतमें लोगोंको घरेलू झंझटें जरूरतसे ज्यादा हुआ करती हैं, और उसमें भी दक्षिणी प्रान्त तो सबसे आगे दिखाई देता है।

दौरेके प्रबन्धके विषयमें मैं शंकरलालसे बात करूँगा।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत चक्रवर्ती राजगोपालाचारी


गांधी आश्रम


तिरुचेनगोडु

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०९२९) की फोटो-नकलसे।

६७६. पत्र: फेनर ब्रॉकवेको

साबरमती आश्रम
१२ जून, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका तार मिला। आपको तारका खर्च उठाना पड़ा, इसके लिए खेद है। अखबारोंके संवाददाता तो पुष्टि किये बिना ही समाचार प्रकाशित कर देते हैं। मेरे फिनलैंड जानेकी चर्चा तो अवश्य हुई थी। लेकिन, अखबारोंने तो यह खबर छाप दी कि सारी व्यवस्था की जा चुकी है, जबकि कुछ भी निश्चित नहीं हो पाया था। अन्तमें तय यह हुआ कि मुझे फिनलैंड नहीं जाना चाहिए। अगर जाता तो आपका निमन्त्रण अवश्य स्वीकार कर लिया होता। मगर हुआ यह कि मुझे आपको यह तार भेजना पड़ा "धन्यवाद! यूरोप नहीं आ रहा हूँ।" आशा है, आपको वह ठीक समयपर मिल गया होगा।

हृदयसे आपका,

श्री फेनर ब्रॉकवे


इंडिपेन्डेन्ट लेबर पार्टी
१३, ग्रेट जॉर्ज स्ट्रीट


लन्दन, एस॰ डब्ल्यू॰ १

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११३६१) की फोटो-नकलसे।