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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  होगा और यह होना ही चाहिए। छोटालाल इधर-उधरके चक्कर लगाकर लौट आया है। अभी भी उसका मन स्वस्थ नहीं है।

तुम्हारा,

श्रीयुत प्यारेलाल नैय्यर
देवलाली

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९६०५) की माइक्रोफिल्मसे।

६५६. पत्र: एच॰ के॰ वीरन्ना गौड़को

साबरमती आश्रम
८ जून, १९२६

प्रिय मित्र,

आपको अपनी कृति मुझे समर्पित करनेके लिए अनुमतिकी आवश्यकता नहीं है। लेकिन यदि आप मुझे समर्पित करें ही तो कृपया यह न कहें कि आपने मेरी अनुमति प्राप्त कर ली है। मैं पुस्तकको पढ़े बिना अनुमति दे नहीं सकता। और उसे आप मेरे पास भेज भी दें तो उसको पढ़नेके लिए समय कहाँसे लाऊँ?

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एच॰ के॰ वीरन्ना गौड़
चान्नापटना

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९६०६) की माइक्रोफिल्मसे।

६५७. पत्र: घनश्यामदास बिड़लाको

साबरमती आश्रम
मंगलवार, ८ जून, १९२६

भाई घनश्यामदासजी,

आपका पत्र मिला है। खादी प्रतिष्ठानको चरखा संघकी मार्फतसे आजतक कमसे-कम ७० हजार रुपये दिये हैं। मुझको स्मरण है वहाँतक ३५ हजार अभय आश्रमको और ६ हजार प्रवर्तक संघको। और भी छोटी-छोटी रकमें दी गई हैं। सब मिलके करीब १। लाख रुपये होंगे। और भी बंगालमें पैसे दिये जायेंगे। मैं जानता हूँ कि खादी प्रतिष्ठानकी आवश्यकता बहुत बड़ी है। सतीशबाबु अपना काम बहुत ही बढ़ाना चाहते हैं। मुझे यह बात प्रिय भी है। परंतु चरखासंघमें आज तो पैसे बहुत ही कम हैं। इसलिये यद्यपि चरखासंघके मार्फतसे जो कुछ हो सकता (है) वह किया जायगा तदपि आप जितना दे सकें इतना सतीशबाबुको अवश्य दें।