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६४७. पत्र: वी॰ सुन्दरम्को

साबरमती आश्रम
६ जून, १९२६

प्रिय सुन्दरम्,

तुम्हारा पत्र पाकर बहुत खुशी हुई, क्योंकि मैं प्रायः तुम्हें याद किया करता था और यह जानकर तो और ज्यादा खुशी हुई कि तुम श्री स्टोक्सकी मदद कर रहे हो। लेकिन तुम्हारे वंशानुगत ग्राम-प्रधान (विलेज वार्डन) के पदको क्या हुआ? उस पदपर अब कौन होगा? आशा है, पहाड़पर रहनेसे तुम्हारी आँखें बिलकुल ठीक हो जायेंगी।

तुम्हारा हिन्दीमें लिखा हुआ लेख बहुत अच्छा है। उसकी हिन्दी मेरे तमिल भाषणसे बेहतर है, लेकिन उसमें अभी बहुत-कुछ सुधारकी गुंजाइश है। तुमने अपने नामके हिज्जे ठीक नहीं लिखे हैं। तुमने जिस भजनकी नकल तैयार की है, उसके शब्द बड़े सुन्दर हैं। मैं सावित्रीको अलगसे पत्र नहीं लिख रहा हूँ। उसने भी अच्छा प्रयास किया है। लेकिन उसे और अच्छा करना चाहिए।

देवदास बिलकुल ठीक है। तीन दिन हुए, वह अस्पतालसे आ गया है।

तुम्हारा,

श्रीयुत वी॰ सुन्दरम्


द्वारा एस॰ ई॰ स्टोक्स
कोटगढ़


शिमला हिल्स

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९६०२) की माइक्रोफिल्मसे।