पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/६१५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

६४५. टिप्पणियाँ

एक शिकायत

एक भाई लिखते हैं:[१]

यदि शिकायत करनेवाले महाशय 'नवजीवन' ध्यानपूर्वक पढ़ते होते तो उनके लिए यह शिकायत करनेका कोई कारण न रहता। उन्होंने इस शिकायतका उत्तर 'नवजीवन' में माँगा है। 'यंग इंडिया' में प्रत्येक सदस्यके नामके साथ उसका चन्दा और भेंट आदिकी प्राप्ति स्वीकार की जाती है और उसका सार समय-समयपर 'नवजीवन' में दिया जाता है। उससे सबको यह पता लग सकता है कि चरखा संघके कितने सदस्य हैं। चरखा संघके कामकाजका ब्योरा भी समय-समयपर 'नवजीवन' में प्रकाशित किया जाता है। फिर भी मैं यहाँ थोड़ा-सा खुलासा कर देना उचित समझता हूँ। कार्यालयमें अभी इतना सूत प्राप्त नहीं हुआ है कि केवल उसीके बलपर खादी सस्ती की जा सके। परन्तु प्रकारान्तरसे उस सूतका इतना अधिक प्रभाव पड़ा है कि सारे हिन्दुस्तानमें मजदूरी देकर जो सूत कतवाया जाता था उसकी अच्छाईमें बड़ा सुधार हुआ है। यह यज्ञार्थ मिलनेवाला सूत दूसरे सूतकी परीक्षा करने और उसकी अच्छाईपर नजर रखनेमें बड़ा उपयोगी साबित हुआ है। परन्तु चरखा संघको परिमाणमें इतना कम सूत प्राप्त हुआ है कि उससे बनी हुई खादी बहुत ही कम लोगोंको मिल सकती है। इसलिए वह खादी दूसरी खादीके साथ मिलानी पड़ी है। परन्तु कार्यालयके कार्यकर्त्ताओंमें उसका एक टुकड़ा भी नहीं बाँटा गया है। कार्य- कर्त्ताओंको जितनी खादी चाहिए उतनी खरीद लेते हैं और उनमें से कुछ तो अपने कते सूतकी ही खादी बुनवा लेते हैं। यदि यज्ञार्थ सूत कातनेवाले अपना सूत आप बुनवाकर उसका गुप्त दान करेंगे तो उससे जो उद्देश्य संघ-शक्तिसे ही सफल हो सकता है, उसे हानि पहुँचेगी अथवा वह निष्फल हो जायेगा और सूतको सुधारनेका जो काम आज हो रहा है वह रुक जायेगा। कार्यालयका खर्च उसकी आमदनीसे अधिक नहीं है। यदि ऐसा होता तो मैं स्वयं चरखा संघको बन्द कर देता या उसमें से निकल जाता। परन्तु मुझे यह बात स्वीकार करनी चाहिए कि जितना सूत आता है उससे कार्यालयका खर्च पूरा नहीं होता। कार्यालयका खर्च दानके रूपमें जो दूसरी रकमें मिलती हैं, उनसे चलता है। परन्तु यदि चरखा संघके आज जो चार हजार सदस्य हैं वे बढ़कर चार करोड़ हो जायें तो कार्यालयका खर्च उनके सूतसे भी निकल सकता है। तब सैकड़ों नवयुवक कार्यालयके द्वारा अपनी आजीविका प्राप्त कर सकते हैं, यही नहीं, बल्कि खादीकी कीमतोंपर भी उसका गहरा और सीधा असर पड़ सकता है।

  1. पत्र यहाँ नहीं दिया गया है। पत्र-लेखकने चरखा संघकी आर्थिक स्थितिका पूरा विवरण जाननेकी इच्छा व्यक्त की थी।