जल्दी बन सके उतनी जल्दी बम्बई जाकर बच्चीको ले आये। गोकीबहन उसे भेजने को तैयार हैं।
गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९६००) की फोटो-नकलसे।
६४२. पत्र: जमनालाल बजाजको
साबरमती आश्रम
५ जून, १९२६
तुम्हें कल जो तार दिया था वह मिल गया होगा। और लक्ष्मीदास तो अबतक वहाँ जम गये होंगे। उनकी तबीयत यहाँ ठिकाने आती ही नहीं और काम किये बिना वे रहते नहीं। इसलिए मैंने निश्चय किया है कि उन्हें तुम्हारे पास भेज दिया जाये और वे देवदासके साथ वहाँ आराम करें। मैं समझता हूँ कि देवदासके आनेमें जल्दी हो या देर किन्तु लक्ष्मीदासको यहाँ रोक रखनेमें कोई लाभ नहीं है। मसूरीमें डाक्टर तो काफी होंगे। यदि लक्ष्मीदासकी तबीयत किसी डाक्टरको दिखाने लायक मालूम हो तो दिखा देना।
गिरधारीका भगंदरका ऑपरेशन हुआ है यह खबर तो तुम्हें मिल गई होगी। मेरा विश्वास है कि इससे बहुत लाभ होगा। ऑपरेशन समयसे हो गया, यह अच्छा हुआ।
फिनलैंड जानेकी बात तो बिलकुल ही छोड़ दी है। मि॰ पॉलकी स्थिति इसके कारण अटपटी होती हो और इसलिए हमें इस सवालपर पुनर्विचार करना पड़े तो अलग बात है। किन्तु पुनर्विचारकी सम्भावना एक प्रतिशत ही समझो। ऐसा मान लिया है कि २२ तक तो तुम आ ही जाओगे। वहाँ किसीको असुविधा न हो तो यही अच्छा होगा कि लक्ष्मीदास वहाँ लम्बे समयतक रहे। उसकी तबीयत बिलकुल सुधर जाये, यह बहुत जरूरी है।
गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९६०१) की फोटो-नकलसे।