पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/६०८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५७२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हूं। लेकिन मेरा इस आवाजको मैं किसके पास सुनाऊँ? मेरा इतना इतबार है सही खूनका बदला खून और मस्जिदका मंदिर यह कानून खुदाको नापसन्द है और एक दिन ऐसा आयगा जब हिंदु और मुसलमान अपना गुनाह कबूल करेंगे, तोबा करेंगे और एक-दूसरोंके साथ भेटेंगे। इसी चीजको मैं मेरी जिन्दगीमें देखना चाहता हूँ। और खुदासे मेरी हमेशा यही इबादत रहती है कि अगर वह दिन मुझे बतलाना नहीं चाहता है तो मुझको इस दुनियासे बुला ले। इसी इतबारपर मुझको जिन्दा रहना अच्छा लगता है। और मैं चाहता हूं कि आप इस इतबारमें मुझको साथ दें, और हरगिज नाउम्मेद न बनें।

भाई एण्ड्रयूजने मुझको कहा कि आप चाहते हैं कि ये और भाई स्टोक्स अपनी तरफसे चंद हिन्दु-मुसलमानोंको बुलाकर सुलहकी कोशीश करें। मेरा यह खयाल है कि उनकी कोशीशसे यह काम नहीं हो सकेगा। न आज इस तरहसे हिंदु मुसलमानों को इकट्ठे करनेका मौका आया है। जब बुलाना होगा तो आप ही बुला सकते हैं। इस मशवरेमें जो मुसलमान हिंदुके दुश्मन माने जाते हैं और जो हिंदु मुसलमानोंके दुश्मन माने जाते हैं उनको भी बुलाना होगा। जबतक एक-दूसरोंका ऐतबार नहीं आता है और जबतक जवान एक बात करती है और दिल दूसरी बात सोचता है तबतक मशवरेसे क्या फायदा पहुंच सकता है।

मेरी उम्मीद है आप मसुरी गये हैं और आपकी सेहत अच्छी है।

महादेव देसाईके स्वाक्षरों (देवनागरी लिपि) में लिखे मूल पत्र (एस॰ एन॰ ११०६९) की फोटो-नकलसे।

६३६, पत्र: ए॰ एस॰ डेविडको

साबरमती आश्रम
५ जून, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं फिनलैंड नहीं जा रहा हूँ। इसलिए आप जब चाहें, मिलनेको यहाँ आ सकते हैं। लेकिन आपके इस पत्रसे मेरा मन कुछ आशंकित-सा हो उठा है। आपकी मेरे साथ फिनलैंड जाने और कुछ परिचयपत्र प्राप्त करनेकी इच्छासे तो ऐसा नहीं लगता कि आपमें केवल शरीर-श्रमसे रोटी कमानेमें सन्तोष माननेकी मनोवृत्ति है, जब कि मैं जो चाहता हूँ वह यही है कि यह आश्रम दुनियाके सामने शरीर-श्रमसे अपनी रोटी कमानेमें संतोष माननेका आदर्श रखे। फिर भी, आप जब चाहें, अपनी आँखोंसे सब-कुछ देख-परख लेनेके लिए यहाँ आ सकते हैं। हाँ, मैं आपसे इतना जरूर कहूँगा कि आप वहाँसे अपनी गृहस्थी उखाड़कर चल देनेकी तैयारी न कर लें। यहाँ तो आपको जिस कामसे अपना जीवन शुरू करना पड़ेगा, वह है पाखाने आदिकी सफाई और रुईकी ओटाई-धुनाई वगैरहका काम।