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६२५. पत्र: न्यायमूर्ति पी॰ आर॰ दासको

साबरमती आश्रम
३ जून, १९२६

प्रिय मित्र,

उर्मिला देवीके पत्रसे मालूम हुआ कि आपको दिलका बहुत गम्भीर दौरा पड़ा था। इस समाचारसे मन बड़ा व्यथित हुआ। लेकिन, मुझे उम्मीद है कि बुरी घड़ी निकल गई है और अब आप ठीक हो गये हैं। उर्मिलादेवीने लिखा है कि आपको इंग्लैंड जाकर कुछ दिन आराम करनेकी सख्त हिदायत दी गई है। आप चाहें इंग्लैंड या कहीं अन्यत्र जायें अथवा न जायें, मुझे पूरी उम्मीद है कि आप काफी दिन आराम करेंगे और अपने-आपको हर तरहकी चिन्ता और भारसे मुक्त रखेंगे।

हृदयसे आपका,

न्यायमूर्ति पी॰ आर॰ दास
पटना

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५८७) की फोटो-नकलसे।

६२६. पत्र: बासन्ती देवीको

साबरमती आश्रम
३ जून, १९२६

प्रिय बहन,

उर्मिला देवीने तो मुझे दुःख-ही-दुःखका संवाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि न्यायमूर्ति दासको दिलका बहुत गम्भीर दौरा पड़ा था, मणि अस्वस्थ है और उसकी शक्ति क्षीण होती जा रही है तथा भास्कर तो खतरनाक रूपसे बीमार है। आपको यह बताने की जरूरत नहीं कि आपके साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। भास्करको क्या हुआ है? दो पंक्ति अवश्य लिख भेजें।

और खुद आप ठीक-ठीक तो हैं? भोंबलका सारा हाल लिखेंगी। बेबी तो वहीं होगी। आशा है उसकी मानसिक दृढ़ता कायम है।

श्रीमती बासन्ती देवी


चित्तरंजन एवेन्यू


पुरुलिया (बिहार)

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५८९) की फोटो-नकलसे।