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पत्र: विलहेम वार्टेनबर्गको

है तब उनके सम्बन्धकी कल्पना करना और उन्हें राजनीतिक एकताका आधार मानना कितनी नासमझीकी बात है?

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९५८८) की माइक्रोफिल्मसे।

६११. तार: के॰ टी॰ पॉलको

३१ मई, १९२६

पॉल


थोट्टम


सेलम

आपके पत्रसे स्पष्ट हो जाता है कि यद्यपि निमन्त्रण औपचारिक रूपसे समितिकी तरफसे है लेकिन वास्तवमें आपकी ओरसे है। मैं इसे गलत मानता हूँ कि लोगोंको यह मालूम हो कि निमन्त्रण समितिने भेजा है। मेरी जोरदार सलाह है कि मेरी फिनलैंड-यात्राका खयाल छोड़ दीजिए। यदि मेरे इस निर्णयसे आपको परेशानीमें पड़ना पड़े या आप अटपटी स्थितिमें पड़ जाते हों तो मैं इसपर पुन: विचार करनेको तैयार हूँ। लेकिन अगर फिरसे विचार करना अपेक्षित हो तो मेरा सुझाव है कि बने तो आप सविस्तार बातचीत के लिए साबरमती आ जायें।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११३५४) की फोटो-नकलसे।

६१२. पत्र: विलहेम वार्टेनबर्गको

साबरमती आश्रम
३१ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। आपकी कशमकशको मैं अच्छी तरह समझता हूँ। लेकिन, मुझे इस बातमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि आपको जो अपमान सहना पड़ रहा है, वह उस हदतक और सिर्फ उसी हदतक आपके साथियोंके लिए शायद लाभदायक सिद्ध होगा, जिस हदतक वह आपको शुद्ध करता है। मेरा अप्रतिरोध एक भिन्न धरातलपर सक्रिय प्रतिरोध ही है। बुराईके अप्रतिरोधका मतलब किसी भी प्रकारका प्रतिरोध न करना नहीं है। इसका मतलब बुराईका प्रतिरोध बुराईसे नहीं बल्कि अच्छाईसे करना है। इस तरह प्रतिरोध उच्चतर धरातलपर पहुँच जाता है, जहाँ जाकर वह सोलहों आने कारगर होता है।