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६०६. पत्र: महादेव वी॰ पाण्डलोरकरको

३० मई, १९२६

जहाँतक मैं समझता हूँ परमात्मा जीवात्माका सम्बन्ध वही है जो बूँदका समुद्रसे है। और जिस तरह एक बूँदमें बिलकुल वही तत्त्व हैं, जो समुद्रमें हैं, उसी तरह जीवात्मामें भी वैसे ही तत्त्व हैं, जैसे कि परमात्मामें हैं।

मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ १९५८४) की फोटो-नकलसे।

६०७. पत्र: सी॰ लक्ष्मी नरसिंहन्‌को

[३० मई, १९२५][१]

मेरी रायमें अंडों को शाकाहारी भोजनकी श्रेणीमें नहीं रखा जा सकता। लेकिन निश्चय ही अंडे खानेमें वैसी हिंसा नहीं है जैसी कि मांस खानेमें है।

मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ १९५८५) की फोटो-नकलसे।

६०८. पत्र: वी॰ एम॰ तारकुंडेको

साबरमती आश्रम
३० मई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं आपकी इस बातसे पूरी तरह सहमत हूँ कि जबतक विचारोंमें भेद रहेंगे, तबतक अलग-अलग दल भी रहेंगे ही, और मैं आपकी इस बातको भी स्वीकार करता हूँ कि मतभेद भले ही हों, लेकिन ईर्ष्या और परस्पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं होने चाहिए और प्रत्येक दलको शेष दलोंके प्रति सहिष्णु होना चाहिए।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत वी॰ एम॰ तारकुंडे
सासवड, जिला पूना

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५८३) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. सी॰ लक्ष्मी नरसिंहन्से प्राप्त जिस पत्र (एस॰ एन॰ १९५८५) के उत्तरमें यह भेजा गया था उसपर प्राप्त टीपके अनुसार।