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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

पूर्व आफ्रिकासे प्राप्त एक प्रार्थना

एक नवयुवक नैरोबीसे लिखते है:[१]

मैं इस युवक संघको बधाई देता हूँ। यदि उनका मासिक केवल लोकसेवार्थ ही प्रकाशित किया जा रहा है तो मैं उसकी सफलताकी कामना करता हूँ। लेखकने खादीके सम्बन्धमें जो टीका की है, वह मुझे प्रिय लगती है। वह खादीके प्रति मेरे प्रेमको तो समझता है परन्तु मेरे इस प्रेममें निहित विवेकको वह नहीं समझ सकता। इसे समझानेका उसने मुझे सहज ही जो अवकाश दिया है, मैं उसका स्वागत करता हूँ। उसे यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं पूर्व आफ्रिकाके भारतीयोंकी स्थितिको सुधारनेके लिए खादीके उपयोगकी बात नहीं सुझाना चाहता। अथवा यदि मैं मोहवश खादीके ही उपयोगकी बात करूँ तो मुझे 'खादी' शब्दका बिलकुल भिन्न और विस्तृत अर्थ करना होगा। लेकिन मुझे ऐसा मोह तनिक भी नहीं है। इसलिए यह कहे देता हूँ कि पूर्व आफ्रिकाके लोगोंके निजी दुःखको दूर करनेके लिए खादीका उपयोग लगभग निरर्थक है। उत्तर ध्रुवमें रहनेवाले लोगोंके लिए मैं चरखा चलाने की बात नहीं लिखूँगा। पूर्व आफ्रिकामें रहनेवाले भारतीय कभी-कभी खादीका उपयोग करें, यह अभीष्ट है। यदि वे ऐसा करें तो माना जायेगा कि वे हिन्दुस्तानकी परिस्थितिको समझते हैं। लेकिन उन्हें अपनी स्थिति सुधारनेके लिए एकताको साधना चाहिए, इसमें कोई सन्देह नहीं। यह पहला कदम है, परन्तु इतना ही पर्याप्त नहीं है। उनपर गन्दा रहनेका आरोप है और उसमें बहुत-कुछ सत्य है। उन्हें यह गन्दगी दूर करनी चाहिए। उनपर कंजूसी करनेका आरोप है। उसमें भी थोड़ा-बहुत सत्य है । यहाँ कंजूसीका अर्थ रहन-सहनपर खर्च करनेमें अशोभनीय कमी है। एक ही मकानमें दुकान रखना, उसीमें रहना और खाना-पीना करना यह सब परदेशमें ठीक नहीं। परदेशमें कमाई ज्यादा हो सकती है और उसके अनुपातसे रहन-सहनमें उचित सुधार करनेकी आवश्यकता है। यदि हम वैसा न करें तो हमपर अनुचित होड़ करनेका आरोप लग सकता है। यदि कोई व्यापारके सामान्य नियमोंकी अवगणना करके बहुत तंगी उठाकर बाजार भाव कम करे तो व्यापारी लोग उससे अवश्य द्वेष करेंगे। हमें ऐसा द्वेष करनेका कारण प्रस्तुत न करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त पूर्व आफ्रिकामें रहनेवाले भारतीयोंको अपने बीच शिक्षाका प्रसार करनेके उपाय करने चाहिए। यदि उनकी सन्तान शिक्षा पाये बिना ही बड़ी होगी तो वह पूर्व आफ्रिकामें अंग्रेजोंके मुकाबलेमें खड़ी नहीं हो सकेगी, इसमें कोई सन्देह नहीं। और मैंने जो यह सुना है कि पूर्व आफ्रिकामें रहनेवाले भारतीयोंने अंग्रेजोंके गुणोंका अनुकरण करनेके बजाय उनके मद्यपान, व्यभिचारादि दुर्गुणोंका अनुकरण किया है यदि वह सच है तो उन्हें उनका त्याग करना चाहिए और अन्ततः अपना अस्तित्व सम्मानपूर्वक बनाये रखने के लिए अपने भीतर सत्याग्रह करने अर्थात्

  1. पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्र-लेखकने इसमें गांधीजीसे वहाँके भारतीय युवक संघकी ओरसे निकाले जानेवाले एक मासिकके लिए सन्देश और लेख भेजनेकी प्रार्थना की थी।