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टिप्पणियाँ

जहाँ ये घर बनाये जायेंगे ऐसे प्रत्येक मुहल्लेमें वहाँ रहनेवाले श्रमिक वर्गकी सामुदायिक आवश्यकताओंको पूरा करनेकी व्यवस्थाकी जायेगी और उनकी सुविधाओंके लिए सारे सम्भव उपाय किये जायेंगे। इनमें पैसेकी सुविधानुसार स्कूल, बगीचे और मनोरंजन-गृह, वाचनालय तथा दुकानें और दवाखाने आदिका समावेश होगा।

जिसमें मजदूर-महाजन और मिल-मालिक मंडलके प्रतिनिधियोंकी एक समिति——जिसमें मजदूर-महाजनके प्रतिनिधियोंका बहुमत होगा ——न्यासकी शर्तोंके अनुसार इस योजनाको अमलमें लायेगी, इस सारी सम्पत्तिकी देखरेख करेगी तथा आय-व्ययकी व्यवस्था करेगी। इस सम्पत्तिका प्रबन्ध मजदूर-महाजन करेगा; चालू वर्षके दौरान मिलमें काम करनेवाले वेतन-वृद्धिके हकदार सब कारीगर न्यासके पैसोंके और उससे खरीदी गयी सम्पत्तिके संयुक्त मालिक माने जायेंगे। कोषमें भरे गये अपने पैसोंके अनुपातमें प्रत्येक कारीगर इस सम्पत्तिका भागीदार माना जायेगा; ऐसे प्रत्येक कारीगर भागीदारको तत्सम्बन्धी शेयर सर्टिफिकेट दिये जायेंगे। शेयर-होल्डर न्यासियों द्वारा तय की हुई शर्तोके अनुसार न्यासियोंके सिवा किसी दूसरेको न तो अपना सर्टिफिकेट बेच सकेगा और न गिरवी रख सकेगा। कारीगरोंको पर्ची डालकर मकान भाड़ेपर दिये जायेंगे। इसमें शेयर होल्डरोंको प्राथमिकता दी जायेगी।

इस योजनाको अमलमें लानेका निश्चय विभागानुसार प्रत्येक कारीगरका लिखित मत लेनेके बाद और योजनाके हकमें दो तिहाई बहुमत है अथवा नहीं इसकी जाँच करनेके बाद लिया जायेगा। यदि वेतनमें होनेवाली वृद्धिका उपयोग इस योजनाके अनुसार किया जाये तो फिर एक वर्षतक वृद्धिके लिए कोई माँग न की जाये और यदि इस शर्तके विरुद्ध कोई मजदूर विशेष वेतनकी वृद्धिके लिए हड़ताल करें तो जितना समय इस योजनाके न्यासी तय करें उतने समयके लिए वे इस योजनाका लाभ नहीं पा सकेंगे।

[गुजरातीसे]
गुजराती, ३०-५-१९२६

५९७. टिप्पणियाँ

प्रागजी देसाई

भाई प्रागजी खंडुभाई देसाई, जिन्हें 'नवयुग' में लिखे अपने लेखके लिए दो वर्षकी सजा मिली थी, गत २२ तारीखको साबरमती जेलसे रिहा कर दिये गये हैं। हालाँकि पहले-पहल सत्ताधिकारियोंने उन्हें बहुत परेशान किया था; लेकिन उनका बादका समय——मुख्यतः कराचीकी जेलमें बदली होनेके बादका——अत्यन्त शान्ति और सुखमें व्यतीत हुआ। परिणामतः उनकी तन्दुरुस्ती बहुत अच्छी है और जेलमें शान्तिपूर्वक पढ़ने तथा सोचने-विचारनेका समय भी उन्हें खूब मिला। अब वे, उन्हें किस कार्यमें जुटना चाहिए, इस बातपर विचार करनेके लिए भाई कल्याणजी आदि साथियों तथा अपनी धर्मपत्नीसे मिलनेके लिए सूरत गये हैं।