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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  उसने पत्र लिखकर मुझसे पूछा है कि क्या आपको उसकी जरूरत है। मगर अब भी वह व्यक्तिगत सेवा करनेकी ही बात कह रहा है। लेकिन, चाहे वह जो भी करे खादी-कार्यमें आपकी सहायता करे या आपके रसोइये, सेवक और सफाई-सम्बन्धी सहायकका काम करे अथवा आपके लिए खादी बुने——मैं तो कहूँगा कि आप उसे उसीकी शर्तोपर साथ रख लें और यदि वह आपको अस्थिरचित्त लगे तो आप मुझसे कह दीजिए; मैं उसे वापस बुला लूँगा। अगर वह आपके साथ दौरेमें जाना चाहे तो ले जाइए। लेकिन, उसे सबसे अच्छी तरह तो आप खुद ही जानते हैं। क्या आप उसे अपने साथ रखनेको तैयार हैं? या आप यहाँ आनेपर ही इस विषय में बातचीत करना ठीक समझेंगे।

मेरी फिनलैंड यात्राके बारेमें आपकी बद्दुआ तो, लगता है, काम कर जायेगी। कारण, के॰ टी॰ पॉल॰, उनके नाम लिखे मेरे एक पत्र से[१], परेशानीमें पड़ गये लगते हैं। मैंने उनसे कहा है कि मेरी इस प्रस्तावित यात्राको वे बिलकुल तटस्थ भावसे देखें। लेकिन, मुझे तो जान पड़ता है कि निमन्त्रण उन्हींकी प्रेरणापर भेजा गया है और यंगमैन्स क्रिश्चियन एसोसिएशनकी विश्व समिति इस मामलेमें उनके हाथोंमें एक निष्क्रिय साधन-मात्र रही है। लेकिन अब तो एक सप्ताहके अन्दर ही मुझे मालूम हो जायेगा कि जाना है या नहीं।

अभी तो हम लोग यहाँ गर्मीसे झुलस रहे हैं, लेकिन आशा है, आप स्वयं आनेसे पहले ही हमारे लिए इधर कुछ वर्षा भेज देंगे।

आपका,

श्रीयुत च॰ राजगोपालाचारी


गांधी आश्रम


तिरुचेनगोडु

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५८६) की फोटो-नकलसे।

५९६. अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी गृह योजनाका मसविदा[२]

यदि मजदूरोंकी वेतन-वृद्धिकी माँग मान ली जाती है तो इस वृद्धिके पैसोंका उपयोग एक वर्षतक मजदूरोंके घरोंकी योजनाके लिए किया जाना चाहिए। इस योजनाके अन्तर्गत ऐसे घर बनानेका विचार है जिससे मजदूरोंके आरोग्यकी रक्षा होगी और जो उनकी सुख-सुविधाकी दृष्टिसे भी उपयोगी होंगे और फिर भी साधारण कारीगरोंको भारी नहीं पड़ेंगे।

  1. देखिए "पत्र: के॰ टी॰ पोलको", २३-५-१९२६।
  2. अहमदाबादके मिल-मजदूरोंके वेतनमें सन् १९२३ में १५ प्रतिशतको कटौती की गयी थी। मजदूरोंकी माँगके फलस्वरूप अगर यह कटौती रद हो जाये तो मजदूरोंके वेतनमें होनेवाली वृद्धिके समुचित उपयोगके लिए गांधीजीने यह योजना सुझायी थी। साधन-सूत्रमें योजनाकी मुख्य-मुख्य धारायें ही उद्धृत की गयी थीं।