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पत्र: शार्दूलसिंह कवीसरको

ऑपरेशन हुआ है और वह भी उसी कमरेमें है जिसमें देवदास है। ये दोनों मरीज सर हरकिशनदास अस्पतालमें हैं। यशवन्तप्रसाद भी बीमार है। उसके कई छोटे-मोटे ऑपरेशन हुए हैं। उसे नहरुआ हो गया था।

तुम्हारी बहनके विधवा हो जानेका समाचार पाकर बड़ा दुःख हुआ। उनतक मेरी समवेदना अवश्य पहुँचाना। गुरुजीकी भेजी सभी कतरनोंको मैं ध्यानसे पढ़ता हूँ। कुछ तो बड़े महत्त्वकी हैं। "मुहम्मदका सुलहनामा" ("मुहम्मद्स ट्रीटी") मैंने पहले नहीं पढ़ा था। हाँ, यह मालूम था कि उनके उत्तराधिकारियोंने ईसाइयों और यहूदियोंके साथ उस ढंगकी कोई सन्धि की थी।

हृदयसे तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५७९) की फोटो-नकलसे।

५९२. पत्र: शार्दूलसिंह कवीसरको

साबरमती आश्रम
२९ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

मेरे पास कुछ अरसेसे अकालियोंके लिए एक छोटी-सी रकम (५१ रुपये) पड़ी हुई है। किसी जरूरतमन्द और सुपात्र अकालीकी सहायताके लिए आप इसका जैसा चाहें वैसा उपयोग करने की कृपा करें।

हृदयसे आपका,

सरदार शार्दूलसिंह कवीसर


लॉज लिबर्टी
रामगली


लाहौर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९५८२) की माइक्रोफिल्मसे।