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५९१. पत्र: कृष्णदासको

साबरमती आश्रम
२८ मई, १९२६

प्रिय कृष्णदास,

तुम्हारे दो पत्र मिले। हरदयाल बावेके सम्बन्धमें वह लम्बा बयान घूम-फिरकर मेरे पास महाबलेश्वरमें पहुँचा, फिरसे उसे मेरे बस्तेमें रख दिया गया, लेकिन महाबलेश्वरमें तो बस्तेको देखनेतकका अवकाश नहीं मिला। मैं ये कागज-पत्र कल देख पाया हूँ, लेकिन उस बयानको अबतक पढ़ नहीं पाया हूँ। एक-दो दिनमें पढ़ लूँगा। लेकिन, मेरा खयाल है, मैं तुम्हें लिख चुका हूँ कि अगर मुझे मालूम होता कि शिकायत तुम्हारे पिताजीके बारेमें है तो इस विषय में तुमसे पूछताछ किये बिना मैं वह तार नहीं भेजता। मैं समझता हूँ, अपने सन्तोषके लिए इस विषयमें तुम मेरा मत जानना चाहते हो। अपना मत मैं खुशी-खुशी बताऊँगा। अपने बारेमें उस एक ही पत्रको दो प्रतियाँ तुमने मुझे भेज दी हैं।

आज मैं तुम्हें बीमासे १०० रुपये भेज रहा हूँ, और जरूरत हो तो लिखना। अभी पिछले ही दिनों महादेव पूछ रहा था कि तुम्हारे निकट भविष्यमें लौटनेकी कोई सम्भावना है या नहीं। मैंने उससे कहा कि गुरुजीके विषयमें तुमने जो समाचार भेजे हैं, उन सबको देखते हुए तो मैं यही समझता हूँ कि तुम्हारा मेरे बजाय गुरुजीके पास रहना ज्यादा ठीक है और अब भी जबतक तुम्हें यह नहीं लगे कि तुम्हारे वहाँसे चले आनेसे बिलकुल कोई हर्ज नहीं होगा तबतक तुम उन्हें मत छोड़ना। लेकिन अगर तुम आ सको तो मुझे बड़ी सुविधा होगी, क्योंकि अभी तो प्यारेलाल और देवदासमें से कोई भी यहाँ नहीं है। लेकिन, एक और सवालपर भी ध्यान देना है। अगर मैं फिनलैंड चला जाऊँ, जिसकी कुछ-कुछ सम्भावना दिखाई देती है, तब क्या होगा? इसके बारेमें श्री पॉलसे मेरा पत्र-व्यवहार काफी तेजीसे चल रहा है। अगर मैं जाता हूँ तो पहली जुलाईको प्रस्थान कर जाऊँगा। मतलब यह कि जिस आखिरी जहाज से चलकर मैं समयपर फिनलैंड पहुँच सकता हूँ, वह बम्बईसे उसी तारीखको छूटता है। सब-कुछ शायद इस सप्ताहके अन्ततक तय हो जायेगा——अगले सप्ताहके अन्ततक तो अवश्य ही। अगर मुझे जाना ही पड़ा तो मेरा इरादा महादेव और देवदासको साथ ले जानेका है। यहाँ काम बहुत पड़ा रह जायेगा। लेकिन, वह काम करनेके लिए तुम गुरुजीको छोड़कर आओगे या नहीं, मुझे लगता है, इस सवालपर तो इस कामका खयाल किये बिना बिलकुल अलगसे सोचना चाहिए। हरहालतमें तुम्हें तो गुरुजीके स्वास्थ्यको ही सबसे अधिक महत्त्व देना चाहिए।

देवदास बिलकुल ठीक चल रहा है हालाँकि वह अब भी अस्पतालमें ही है। हफ्तेके अन्दर ही उसके अस्पतालसे छुट्टी पा जानेकी सम्भावना है। लालजीका भी