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पत्र: सैयद रजा अलीको

  मेरे लड़केने मुझे लिखा है कि उसे आपसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उसने इस बातपर दुःख प्रकट किया है कि आप फीनिक्स[१] आश्रमको देखने न जा सके।

हृदयसे आपका,

सर देवप्रसाद सर्वाधिकारी


२०, सूरी लेन


कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११९५८ ए) की फोटो-नकलसे।

५८६. पत्र: सैयद रजा अलीको

साबरमती आश्रम
२८ मई, १९२६

प्रिय भाई,

यह पत्र आपके उस पत्रके लिए आभार प्रकट करने हेतु लिख रहा हूँ जिसके साथ आपने दक्षिण आफ्रिकासे अपनी साक्षीके ज्ञापन-पत्रकी नकल भेजी थी। आप सबको अपने प्रयत्नोंमें जितनी सफलता मिली, उसके लिए आपको और आपके शिष्टमण्डलको मैं बधाई देता हूँ।

आपने श्री पैडिसनकी जो प्रशस्ति की थी, उसका उपयोग मैंने आपका नाम दिये बिना 'यंग इंडिया' की साप्ताहिक टिप्पणियोंमें कर लिया था।[२]

आशा है, आपकी दक्षिण अफ्रिकाकी यात्रा आनन्ददायक रही।

हृदयसे आपका,

माननीय सैयद रजा अली


मुकाम—इनवर आर्म


शिमला

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११९५९) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. सन् १९०४ में दक्षिण आफ्रिकामें गांधीजीने इसकी स्थापना की थी। देखिए खण्ड ४, पृष्ठ ५२३।
  2. देखिए "टिप्पणियाँ", २९-४-१९२६; उपशीर्षक "सच्चा परोपकारी व्यक्ति"।
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