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५८०. त्रैमासिक आँकड़े

अखिल भारतीय चरखा संघको अधिकांश प्रान्तोंसे खादीके उत्पादन और बिक्रीका त्रैमासिक अर्थात् जनवरीसे लेकर मार्च १९२६ तकका हिसाब प्राप्त हो गया है। आँकड़े मैं नीचे दे रहा हूँ:[१]

आन्ध्रके आँकड़े, वहाँ कितना काम हो रहा है, इसका ठीक संकेत नहीं देते। बार-बार स्मरण दिलाये जानेपर भी उस प्रान्तसे पूरे विवरण प्राप्त नहीं हुए हैं। कर्नाटकके आँकड़े भी बहुत हदतक अपूर्ण हैं। तुलनात्मक अध्ययनके लिए निम्नलिखित प्रान्तोंके पिछले वर्ष की इसी तिमाहीके आँकड़े उपलब्ध हैं, और उनसे प्रकट होता है कि बम्बईके अलावा और सभी प्रान्तोंके इस तिमाहीके आँकड़े पिछले वर्षकी तिमाहीसे अधिक हैं।[२]

पंजाबके पिछले वर्षकी बिक्रीके आँकड़े इस वर्षकी बिक्रीके आँकड़ोंसे अधिक है। लेकिन, ऐसा देखनेमें ही लगता है क्योंकि जहाँ इस सालके आँकड़े असली बिक्रीके सूचक हैं, वहाँ पिछले सालके आँकड़ोंमें विभिन्न शाखाओंके बीच हुई बिक्री भी शामिल है। बर्मा और उत्कलकी बिक्रीमें कुछ कमी आ गई प्रकट होती है।

ये आँकड़े खादीके लिए हर प्रान्तमें हो रहे कामको घटाकर ही दिखाते हैं——विशेषकर आन्ध्रके मामलेमें। मैं हर प्रान्तके कार्यकर्त्ताओंसे फिर अनुरोध करता हूँ कि वे हिसाब देनेमें तत्परतासे काम लें। अगर अखिल भारतीय चरखा संघको भारतके एक-एक गाँवको समेट लेनेवाला कुशल और सक्षम संगठन बनना है तो इसे अपने सभी कार्यकर्त्ताओंका अनुशासनयुक्त और समझदारीभरा सहयोग प्राप्त होना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २७-५-१९२६

५८१. उसका रहस्य

मेरे महाबलेश्वरसे लौटनेपर असहयोगी मित्रोंने मुझे घेर लिया, यद्यपि उन्होंने इस मुलाकातके लिए पहले ही समय तय कर लिया था। महाबलेश्वर जाकर कार्यवाहक गवर्नर महोदयसे मिलनेका यह प्रसंग अचानक ही आ पड़ा था और इसीलिए मैंने इस यात्राके दौरान कुछ बीमार लोगोंसे ही मिलनेका कार्यक्रम बना रखा था। इसलिए पूना स्टेशन पहुँचनेसे पहले मैंने अपने किशोर मित्र मनुसे मिलनेके लिए प्रोफेसर त्रिवेदीके घर जानेकी व्यवस्था करवा ली थी। जब मैं १९२४में पूनाके सैसून अस्पतालमें[३] बीमार था, उस समय मुझे जिन लोगोंकी स्नेह-सहानुभूति प्राप्त हुई,

  1. ये आँकड़े यहाँ नहीं दिये जा रहे हैं।
  2. आँकड़ोंकी तुलनात्मक तालिका यहाँ नहीं दी जा रही है।
  3. १२ जनवरी, १९२४ को इस अस्पतालमें गांधीजीका ऑपरेशन हुआ था।