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पत्र: मोतीलाल नेहरूको

धीरु आयें अथवा ३१ तारीखतक तो रुक सकते हैं। पहली तारीखको सवेरे ७ बजे स्कूल खुलेगा। उस समय ये लोग हाजिर रहें तो पर्याप्त है। कान्ति और रसिक आज आये हैं।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९५५८) की फोटो-नकलसे।

५७६. पत्र: मोतीलाल नेहरूको

२४ मई, १९२६

प्रिय मोतीलालजी,

आपने अपनी यात्रा रद करनेका जो कारण बताया है, उसके बारेमें तो मैं सोच ही नहीं सकता था। लेकिन, कारण जाननेके बाद आपके यात्रा रद करनेपर मुझे कोई अफसोस नहीं है। कृष्णाके जवाहरके पास चले जानेसे आपकी चिन्ताका कोई कारण नहीं रह जाता। मैं जानता हूँ कि आप अपने कार्यालयमें बैठे-बैठे कानूनी सलाह देकर ही अपनी जरूरतके लायक काफी बल्कि उससे ज्यादा ही कमा लेंगे।

आपने बोलकर लिखाये गये अपने जिस पत्रका जिक्र किया है वह तो अभी तक मुझे नहीं मिल पाया है, मैं उसकी प्रतीक्षा कर सकता हूँ। महाबलेश्वरके बारेमें तो मैं इतना ही कह सकता हूँ कि गवर्नर महोदयके साथ मैंने तीन घंटे बड़े मजेमें बिताये। हमने अधिकांशतः चरखेके बारेमें बातचीत की और थोड़ी-बहुत भारतकी पशु-समस्याके सम्बन्धमें भी। अगर इस मुलाकातके पीछे कोई और उद्देश्य रहा हो तो उसका अन्दाजा मुझे नहीं मिल पाया और उसकी कोशिश भी नहीं की।

देवदास हफ्ते भरमें अस्पतालसे फुर्सत पा जानेकी उम्मीद रखता है। उसके बाद स्वास्थ्य लाभके लिए उसके मसूरी जानेकी सम्भावना है।

फिनलैंडके बारेमें अभीतक कुछ तय नहीं हो पाया है। परिस्थितियाँ तो ऐसी ही दीख रही हैं कि मैं वहाँ नहीं जाऊँगा। शायद हफ्ते-भरमें पक्का मालूम हो जायेगा।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ १९५७४) की फोटो-नकलसे।