५७४. पत्र: जमनालाल बजाजको
साबरमती आश्रम
रविवार, २३ मई, १९२६
मसूरी जाओ तब अब्बास तैयबजीके मकानकी बात न भूल जाना, यह उन्होंने मुझे याद दिलानेके लिए लिखा है। तुम अब भी वहाँ होओ तो उनसे संवेदना प्रकट करनेको मिल आना। उनका पता इस प्रकार है:
मार्फत: एम॰ बी॰ तैयबजी
फ्रेंच रोड, चौपाटी।
वह एक ज्ञानी पुरुष हैं। मेरे तारके जवाबमें लिखते हैं कि उन्हें मोतका धक्का जरा भी नहीं लगा।
भाई लालजीका ऑपरेशन झटपटमें हो गया और अच्छी तरह हुआ जान पड़ता है। देशबन्धु कोषका हिसाब तैयार करा लेना।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ २८६५) की फोटो-नकलसे।
५७५. पत्र: देवदास गांधीको
साबरमती आश्रम
रविवार, २३ मई, १९२६
तुम्हारा पत्र मिला। गिरधारीका भी मिला। भाई लालजीका ऑपरेशन इतने कम समयमें हो गया, यह तो बहुत अच्छी बात हुई। मैं कल उनके बारेमें और समाचार सुननेकी आशा रखूँगा। वे तुम्हारे साथ ही के कमरेमें हैं, यह सुनकर तो मुझे बहुत खुशी हुई। इससे एक तो हम अस्पतालकी जगह कम रोकेंगे। वहाँके लोगोंको कम असुविधा होगी और तुम दोनोंको परस्पर एक-दूसरेसे आश्वासन मिलेगा। यह तो तुम्हारी मनचाही बात हो रही है। तुम्हारी तबीयतके बारेमें मैं कोई चिन्ता लेकर नहीं आया हूँ; लेकिन मैं यह समझ गया हूँ कि बिलकुल ठीक होनेके बाद भी तुम्हें पूरी-पूरी सँभाल करनी पड़ेगी। यदि तुम वे सारी सावधानियाँ लेते रहे जो कि तुम्हें लेनी चाहिए तो तुम्हें कोई भय नहीं रहेगा। तुम्हारा पत्र हमेशा आता रहेगा, ऐसा मानता हूँ। केशुको २५ तारीखको कुसुम और धीरुके साथ भेज देना। लेकिन यदि उसकी जरूरत हो तो अभी रोक लेना। दूसरा कोई संग मिले तो कुसुम और