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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  एक ही निष्णात व्यक्तिके हाथों होनेकी आवश्यकता है, अतः वे [अहमदाबाद] भेजे जाने चाहिए। लेकिन ऐसा न हो सकता हो तो जिस व्यक्तिकी सहायता लेकर तुम परीक्षण करना चाहो उसकी मदद ले लेना और परीक्षण करके पैसे चुका देना।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९५५५) की माइक्रोफिल्मसे।

५५१. पत्र: चन्दूलालको

साबरमती आश्रम
शनिवार, बैशाख सुदी १ [०],[१] २२ मई, १९२६

भाईश्री ५ चन्दूलाल,

आपका पत्र मिला। बिरादरीके लोगोंकी रायके विरुद्ध जाकर भी आपने चिरंजीव कमलाका विवाह जाति द्वारा रचित दायरेके बाहर करनेका जो निश्चय किया है उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ। विवाह निर्विघ्न रूपसे हो, वर-वधू दीर्घायु हों और ऐसा आदर्श जीवन व्यतीत करें कि अन्य लोग उनका अनुकरण करें, ऐसी मेरी कामना है।

गुजराती प्रति (एस॰ एन॰ १९५५७) की माइक्रोफिल्मसे।

५५२. टिप्पणियाँ

वनस्पति घी

आजकल नामका दुरुपयोग बहुत बढ़ गया है। हाथकते सूतसे हाथबुने कपड़ेको ही खादीका नाम दिया जा सकता है किन्तु मिलवाले अपने यहाँके बुने हुए मोटे कपड़ेको भी खादीका नाम देते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग मिलके सूतके हाथबुने कपड़ेको आधी खादीका नाम देकर, उसे खादीके नामपर चलाकर लोगोंको ठगते हैं। घीके मामलेमें भी यही हाल है। दूधसे बने हुए स्निग्ध पदार्थको ही घी कहा जा सकता है। किन्तु आजकल वनस्पति घी निकला है। गोलेके तेलको "वेजीटेबल घी' कहनेसे वह घी नहीं बन जाता और न उसमें घीके गुण ही आ सकते हैं। आजकल विदेशसे यह नकली घी पर्याप्त मात्रामें आ रहा है। वह बहुत अच्छी तरह डिब्बेमें बन्द किया हुआ होता है और देखनेमें घी जैसा ही लगता है इसलिए सीधे-सादे आदमी उसे खरीदते हैं। चूँकि घीके नामपर चरबी बेची जा रही है या घीमें चरबी की मिलावट की जाती है इसलिए लोग घीका प्रयोग करते हुए डरते हैं और "वेजीटेबल घी" काममें लाते हैं।

  1. साधन-सूत्रमें ११ तिथि दी हुई है किन्तु उस दिन रविवार था।