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टिप्पणियाँ

  उसी अनुपातमें होती है जिस अनुपातमें उसकी वृत्तियाँ अहिंसात्मक हो पाती हैं। इसलिए आइए, जो लोग सच्ची स्वतन्त्रताकी प्राप्तिके एकमात्र साधनके रूपमें अहिंसामें विश्वास रखते हैं, वे अहिंसाकी ज्योतिको मौजूदा दुर्भेद्य अन्धकारमें भी दीप्त रखें। जिस प्रकार हवामें भूसा उड़ जाता है उसी प्रकार करोड़ों लोगोंका असत्य भी उड़ जायेगा और कुछ थोड़े-से लोगोंका सत्य ही केवल टिका रह सकेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २०-५-१९२६

५४७. एक अच्छा उदाहरण

अखिल भारतीय चरखा संघके मन्त्रीको बताया गया है कि इलाहाबाद नगरपालिकाने इस आशयका एक प्रस्ताव पास किया है कि हाथ-कते सूत और खादीपरसे चुंगी उठा ली जाये। इस देशभक्तिपूर्ण निर्णयके लिए मैं नगरपालिकाको बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि अन्य नगरपालिकाएँ भी इसका अनुकरण करेंगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २०-५-१९२६

५४८. टिप्पणियाँ

आस्ट्रेलिया-निवासी भारतीय

एक आस्ट्रेलिया निवासी भारतीय अपने एक पत्रमें लिखते हैं:[१]

पत्र-लेखकको खान खोदनेकी अपनी अर्जीके जवाबमें खान विभागके रजिस्ट्रारकी तरफसे जो पत्र मिला है, उसे भी उसने मेरे पास भेजा है। उसकी नकल मैं नीचे दे रहा हूँ:

आपके गत मासकी ३१ तारीखके पत्रके उत्तरमें आपको सूचित करता हूँ कि भारतीयोंको खानके स्वामित्वका अधिकार देनेमें हम असमर्थ हैं।

यह पत्र आँखें खोलनेवाला है। ऐसा खयाल था कि जो एशियाई आस्ट्रेलियामें बस गये हैं उनके प्रति वहाँ जाति-भेद नहीं बरता जाता। परन्तु लेखकके इस पत्रसे, जिसकी पुष्टि खान विभागके पत्रकी मूल प्रतिसे होती है, अब सन्देहके लिए कोई गुंजाइश नहीं रह जाती।

  1. पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्र लेखकने बताया था कि रंगदार जातिके अच्छेसे-अच्छे इंजीनियरको भी आस्ट्रेलियामें नौकरी नहीं मिल सकती, और न कोई रंगदार व्यक्ति वहाँ जमीन ही खरीद सकता है; और अगर वह अपने पास जमीन रखना चाहे तो किसी गोरेके नामपर ही रख सकता है।
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