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५४४. पत्र: मीराबहनको

१८ मई, १९२६

चि॰ मीरा,[१]

तुम्हारा पत्र मिल गया था। "मैं यह वक्तका ऐसा उपयोग करेंगे" के[२] बजाय "मैं इस वक्तका ऐसा उपयोग करूँगी"[३] लिखना चाहिए। क्रियान्त स्त्रीलिंग होना चाहिए।

यह पत्र मैं रातमें बिस्तरपर जानेसे पहले लिख रहा हूँ। इसलिए ज्यादा नहीं लिख सकता। नरगिस यहाँ आई थी। वह अब बेहतर दीख रही है। स्थान ठंडा तो है, लेकिन सर्द नहीं।

सस्नेह,

बापू

[पुनश्च:]


साथका कागज मणिबहनको दे देना।
अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ५१८६) से।


सौजन्य: मीराबहन

५४५. पंजाबके तुलनात्मक आँकड़े

इस सप्ताहमें पंजाब मैं खादीके उत्पादन और बिक्रीके तुलनात्मक आँकड़े[४] दे पा रहा हूँ:

इन आँकड़ोंसे अभय आश्रम जैसी प्रगति सूचित नहीं होती है, फिर भी १९२३-२४ की तुलनामें सम्बन्धित महीनोंके आँकड़े दुगुने हैं इसे पंजाबमें खादीकी अवनतिका चिह्न नहीं माना जा सकता।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २०-५-१९२६
  1. ये अंश मूल पत्रमें देवनागरी लिपिमें हिन्दीमें ही हैं।
  2. ये अंश मूल पत्रमें देवनागरी लिपिमें हिन्दीमें ही हैं।
  3. ये अंश मूल पत्रमें देवनागरी लिपिमें हिन्दीमें ही हैं।
  4. ये आँकड़े यहाँ नहीं दिये जा रहे हैं। ये आँकड़े १९२२-२३, १९२३-२४, १९२४-२५ और १९२५-२६ के थे।