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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  वेतनका आधा अथवा कुछ भाग दलके कोषमें देनेकी बातका उन्हें कोई पता नहीं है। इसपर मैंने उनसे कहा था, चैक लेनेसे पहले आपसे सलाह करना आवश्यक है। क्या आप कृपया मुझे बतायेंगे कि इस सम्बन्धमें क्या किया जाये?

सर चुनीलालने[१] मुझे साथ टहलने जाते समय बताया कि आपने इंग्लैंड न जानेका फैसला किया है तथा उसके बदले दलका नेतृत्व श्री अय्यंगारको[२] सौंपकर किसी पहाड़ी स्थानपर आराम करना तय किया है। क्या आप इंग्लैंड नहीं जा रहे हैं?

हृदयसे आपका,

पण्डित मोतीलाल नेहरू


आनन्द भवन


इलाहाबाद

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११३१२) की फोटो-नकलसे।

५४२. पत्र: हरिभाऊ गणेश पाठकको

महाबलेश्वर
१७ मई, १९२६

प्रिय मित्र,

आशा है, बुधवारकी सुबह पूना पहुँच जाऊँगा और वहाँसे मोटरमें बैठकर सीधे काकाको मिलने सिंहगढ़ चला जाऊँगा। फिर शामको लौट आऊँगा। आप प्रोफेसर त्रिवेदीके घर मुझे मिलें। वहाँ मैं उनके पुत्रको देखने जाना चाहता हूँ। उसी रात मैं बम्बईके लिए चल पड़ूगा।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

श्रीयुत हरिभाऊ गणेश पाठक


३४१, सदाशिव पेठ


पूना सिटी

अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ २८००) से।

सौजन्य: हरिभाऊ पाठक

  1. बम्बईकी कार्यकारिणी परिषद्के सदस्य; महाबलेश्वरमें गांधीजी उनके यहाँ ठहरे थे।
  2. श्रीनिवास अय्यंगार।