पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/५२५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

५४०. टिप्पणियाँ

अमरेली खादी कार्यालय

यह कार्यालय भाई चितलियाने खोला था और वह भी खादी आन्दोलनके आरम्भमें ही। उसके बाद भाई अमृतलाल ठक्कर वहाँ रहे और उन्होंने उसके कामका खूब विस्तार किया। उस समय सब अनुभवहीन थे, इसलिए नुकसान भी हुआ। तथापि उसका परिणाम लाभदायक ही हुआ, क्योंकि उससे अनुभव मिला और गरीब बहनोंकी थोड़ी-बहुत सहायता भी हुई। भाई जीवनलाल और रामजी हंसराज भी उसमें दिलचस्पी लेने लगे। भाई जीवनलालने उसमें अपना रुपया भी लगाया। रामजीभाई व्यवस्थापक बने। उन्होंने भाई जयसुखलालको इस कार्यमें लगाया। सूतके लिए हाथ-प्रेस बनाया और गाँठोंके रूपमें उसका संग्रह करना आरम्भ किया। बादमें अमरेलीके आसपास, जहाँ बहुत ज्यादा गरीबी थी और जहाँ अच्छा काम करनेवाले मिले, कार्यालयकी शाखाएँ खोलीं तथा सूतकी और खादीकी किस्ममें सुधार किया। वहाँ पहले तीन अंकका सूत बुना जाता था; किन्तु आज आठ अंकका बुना जाता है और वह पहलेकी अपेक्षा ज्यादा मजबूत होता है। इस वर्षके आरम्भमें कार्यालयका चौथा दौर शुरू हुआ। भाई जीवनलाल तथा रामजीने मुझसे अनुरोध किया कि वे कार्यालय चलानेके उत्तरदायित्वसे मुक्त कर दिये जायें और यह इच्छा प्रकट की कि इस कार्यालयका कार्य-संचालन कोई संस्था अपने हाथमें ले ले। भाई रामजीने अपनी बीमारीके कारण तथा भाई जीवनलालभाईने अपने धन्धेमें अधिक हाथ बँटानेके हेतुसे कार्यालयकी जिम्मेदारीसे मुक्ति चाही थी। इसलिए अब मेरी सलाहसे कार्यालयकी व्यवस्था काठियावाड़ राजनीतिक परिषद्ने अपने हाथमें ले ली है और वह थोड़े समय में परिषद्की ओरसे न्यासियोंके हाथमें सौंप दिया जायेगा, जिससे उसकी व्यवस्था अच्छी तरहसे हो सके। इस कार्यालयमें भाई जीवनलालने दस हजार रुपयेकी पूँजी लगाई है और वह उसमें अभीतक लगी है। इसके अतिरिक्त उन्होंने थैलीमें जो पाँच हजारकी रकम दी थी वह भी अपनी इच्छासे कार्यालयमें ही लगाई है और वे हर साल दो हजारका अनुदान देते हैं जो तीन सालतक चलता रहेगा। इस वर्षकी योजना निम्न प्रकार है।

पुरानी रुई और पुराना सूत लगभग ४३० मन था। ८५० मन रुई नयी है। अर्थात् सस्ते भावसे खरीदी गयी है, इस सबका सूत काता जायेगा; परन्तु ३५० मन सूत वर्षके अन्ततक बुनना बाकी रह जायेगा। यह कार्यक्रम पूरा करनेके लिए वर्षके अन्ततक गरीबोंको नीचे लिखे अनुसार रुपया बाँटा जा चुकेगा:

पिंजारोंको २००० रु॰


पूनी बनानेवाली स्त्रियोंको १००० रु॰
सूत कातनेवाली स्त्रियोंको ८००० रु॰, और


बुनाई और धुलाई करनेवालोंको १४००० रु॰